नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। मजबूत जीडीपी ग्रोथ और निवेशकों के सकारात्मक रुझान के कारण भारत 2030 तक दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था बना रहेगा। ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैश की ओर से यह जानकारी दी गई।
ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
साथ ही कि हमारे आउटलुक में कोई बदलाव नहीं आया है। हमें लगता है कि आरबीआई की ओर से अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष में ब्याज दर में दो कटौती देखने को मिल सकती है।
–आईएएनएस
एबीएस/
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नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। मजबूत जीडीपी ग्रोथ और निवेशकों के सकारात्मक रुझान के कारण भारत 2030 तक दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था बना रहेगा। ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैश की ओर से यह जानकारी दी गई।
ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
साथ ही कि हमारे आउटलुक में कोई बदलाव नहीं आया है। हमें लगता है कि आरबीआई की ओर से अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष में ब्याज दर में दो कटौती देखने को मिल सकती है।
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ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
साथ ही कि हमारे आउटलुक में कोई बदलाव नहीं आया है। हमें लगता है कि आरबीआई की ओर से अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष में ब्याज दर में दो कटौती देखने को मिल सकती है।
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ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
साथ ही कि हमारे आउटलुक में कोई बदलाव नहीं आया है। हमें लगता है कि आरबीआई की ओर से अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष में ब्याज दर में दो कटौती देखने को मिल सकती है।
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ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
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ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
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एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
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गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
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आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
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ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
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ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
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गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
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ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
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एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
साथ ही कि हमारे आउटलुक में कोई बदलाव नहीं आया है। हमें लगता है कि आरबीआई की ओर से अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष में ब्याज दर में दो कटौती देखने को मिल सकती है।
–आईएएनएस
एबीएस/
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नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। मजबूत जीडीपी ग्रोथ और निवेशकों के सकारात्मक रुझान के कारण भारत 2030 तक दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था बना रहेगा। ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैश की ओर से यह जानकारी दी गई।
ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
साथ ही कि हमारे आउटलुक में कोई बदलाव नहीं आया है। हमें लगता है कि आरबीआई की ओर से अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष में ब्याज दर में दो कटौती देखने को मिल सकती है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। मजबूत जीडीपी ग्रोथ और निवेशकों के सकारात्मक रुझान के कारण भारत 2030 तक दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था बना रहेगा। ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैश की ओर से यह जानकारी दी गई।
ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
साथ ही कि हमारे आउटलुक में कोई बदलाव नहीं आया है। हमें लगता है कि आरबीआई की ओर से अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष में ब्याज दर में दो कटौती देखने को मिल सकती है।
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नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। मजबूत जीडीपी ग्रोथ और निवेशकों के सकारात्मक रुझान के कारण भारत 2030 तक दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था बना रहेगा। ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैश की ओर से यह जानकारी दी गई।
ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आय स्थिर होना शुरू हुई है और 2030 तक मुनाफे में बढ़त का क्रम जारी रह सकता है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक उठापटक के बीच मजबूत बनी हुई है।
आगे कहा कि निफ्टी की कुल आय और मार्केट कैप बीते पांच वर्षों में 18 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
गोल्डमैन सैश के मुताबिक, जैसे-जैसे विकास होगा, प्रॉफिट पूल शिफ्ट होकर निवेश चक्र की ओर से स्थानांतरित होने की संभावना है, जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट, केमिकल के साथ अन्य उद्योग भी शामिल हैं और इसकी लाभ हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त देखने को मिल सकती है।
इससे पहले निवेश फर्म मूडीज की ओर से कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। साथ ही बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि में नरमी देखने को मिली है। इसकी वजह अधिक ब्याज दर के कारण शहरी मांग का प्रभावित होना है। खाद्य उत्पादों में महंगाई आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
साथ ही कि हमारे आउटलुक में कोई बदलाव नहीं आया है। हमें लगता है कि आरबीआई की ओर से अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष में ब्याज दर में दो कटौती देखने को मिल सकती है।