भीमताल, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। नैनीताल जिले में कई दिनों से बाघ का आतंक था। भीमताल के आदमखोर बाघ को आखिरकार पकड़ लिया गया है। भीमताल नौकुचीयाताल क्षेत्र के जंगलों में देर रात तक चले सर्च अभियान के दौरान आदमखोर बाघ को वन विभाग के कर्मचारियों ने आखिरकार पकड़ लिया।
युद्ध स्तर पर चले कैच टाइगर ऑपरेशन को सोमवार रात सफलता मिली। वन विभाग की टीम को पता चला कि बाघ ने एक गाय को मारा है। इसके बाद वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंची। आखिरकार कई घंटों की मशक्कत के बाद बाघ वन विभाग की टीम के जाल में फंस गया और उसे ट्रेंकुलाइज कर पकड़ लिया।
बाघ को पकड़ने का ऑपरेशन रात भर चला। बाघ को रेस्क्यू कर रानीबाग सेंटर पहुंचाया गया है।
इस बाघ ने 7 दिसंबर से इलाके में आतंक मचा रखा था। ग्रामीण दहशत में जी रहे थे।
दरअसल, सोमवार सुबह वन विभाग की रेस्क्यू टीम को खबर मिली थी कि नौकुचियाताल से थोड़ा और ऊपर जंगलिया गांव में एक बाघ को देखा गया है जिसने एक गाय का शिकार किया है। वन विभाग की टीम ने बाघ द्वारा मारी हुई गाय को ऐसे स्थान पर रख दिया जहां से रात में टाइगर पर निशाना लगाया जा सके और उसे बेहोश किया जा सके।
ऐसा इसलिए क्योंकि बाघ अपने शिकार के पास फिर से आता है और सुकून से अपने शिकार को खाता है। ऐसा ही हुआ। बाघ देर रात उस मरी हुई गाय के पास आया। जैसे ही बाघ आया, वन विभाग की टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज करने के लिए डार्ट से निशाना लगाया। डार्ट लगने के बाद भी टाइगर जंगल में नीचे की ओर भाग गया।
इसके बाद रेस्क्यू टीम धीरे-धीरे जंगल की ओर बढ़ी और उसने खोजना शुरू किया। मुख्य मार्ग से 3 किलोमीटर नीचे बाघ वन विभाग की टीम को बेहोशी की हालत में मिला। बाघ को खतरनाक रास्ते से सड़क तक लाने में वन विभाग की टीम को ढाई घंटे का समय लगा।
बाघ को सड़क तक लाते समय बेहोशी का बूस्टर डोज दिया गया ताकि बाघ होश में ना आए। उसके बाद उसे पिंजरे में डालकर रानीबाग रेस्क्यू सेंटर लाया गया।
वन विभाग की टीम ने टाइगर के ब्लड, स्वाब और बालों के सैंपल लिए जिसका मिलान मारी गई महिलाओं के सैंपल से कराया जाएगा। ताकि यह पता चल सके कि यह यही वो आदमखोर बाघ है।
–आईएएनएस
स्मिता/एसकेपी
भीमताल, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। नैनीताल जिले में कई दिनों से बाघ का आतंक था। भीमताल के आदमखोर बाघ को आखिरकार पकड़ लिया गया है। भीमताल नौकुचीयाताल क्षेत्र के जंगलों में देर रात तक चले सर्च अभियान के दौरान आदमखोर बाघ को वन विभाग के कर्मचारियों ने आखिरकार पकड़ लिया।
युद्ध स्तर पर चले कैच टाइगर ऑपरेशन को सोमवार रात सफलता मिली। वन विभाग की टीम को पता चला कि बाघ ने एक गाय को मारा है। इसके बाद वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंची। आखिरकार कई घंटों की मशक्कत के बाद बाघ वन विभाग की टीम के जाल में फंस गया और उसे ट्रेंकुलाइज कर पकड़ लिया।
बाघ को पकड़ने का ऑपरेशन रात भर चला। बाघ को रेस्क्यू कर रानीबाग सेंटर पहुंचाया गया है।
इस बाघ ने 7 दिसंबर से इलाके में आतंक मचा रखा था। ग्रामीण दहशत में जी रहे थे।
दरअसल, सोमवार सुबह वन विभाग की रेस्क्यू टीम को खबर मिली थी कि नौकुचियाताल से थोड़ा और ऊपर जंगलिया गांव में एक बाघ को देखा गया है जिसने एक गाय का शिकार किया है। वन विभाग की टीम ने बाघ द्वारा मारी हुई गाय को ऐसे स्थान पर रख दिया जहां से रात में टाइगर पर निशाना लगाया जा सके और उसे बेहोश किया जा सके।
ऐसा इसलिए क्योंकि बाघ अपने शिकार के पास फिर से आता है और सुकून से अपने शिकार को खाता है। ऐसा ही हुआ। बाघ देर रात उस मरी हुई गाय के पास आया। जैसे ही बाघ आया, वन विभाग की टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज करने के लिए डार्ट से निशाना लगाया। डार्ट लगने के बाद भी टाइगर जंगल में नीचे की ओर भाग गया।
इसके बाद रेस्क्यू टीम धीरे-धीरे जंगल की ओर बढ़ी और उसने खोजना शुरू किया। मुख्य मार्ग से 3 किलोमीटर नीचे बाघ वन विभाग की टीम को बेहोशी की हालत में मिला। बाघ को खतरनाक रास्ते से सड़क तक लाने में वन विभाग की टीम को ढाई घंटे का समय लगा।
बाघ को सड़क तक लाते समय बेहोशी का बूस्टर डोज दिया गया ताकि बाघ होश में ना आए। उसके बाद उसे पिंजरे में डालकर रानीबाग रेस्क्यू सेंटर लाया गया।
वन विभाग की टीम ने टाइगर के ब्लड, स्वाब और बालों के सैंपल लिए जिसका मिलान मारी गई महिलाओं के सैंपल से कराया जाएगा। ताकि यह पता चल सके कि यह यही वो आदमखोर बाघ है।
–आईएएनएस
स्मिता/एसकेपी