मुंबई, 22 सितंबर (आईएएनएस)। टेलीविजन शो ‘भीमा’ में कैलाशा बुआ की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री नीता मोहिंदरा ने बताया कि उन्होंने कला के क्षेत्र में पीएचडी की है।
अभिनेत्री ने साझा किया कि अभिनय और थिएटर की कला के प्रति गहरा जुनून होने के बावजूद, उन्होंने एक मजबूत शैक्षणिक पोर्टफोलियो विकसित करने की दिशा में काम किया।
अभिनेत्री अब 4 दशकों से टेलीविजन में काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, “मुझे शुरू से ही थिएटर का शौक था। हालांकि मुझे यकीन नहीं था कि मैं इस इंडस्ट्री में आ पाऊंगी या नहीं। मैंने एक ठोस शैक्षणिक पृष्ठभूमि हासिल की। कला में मास्टर और पीएचडी की और कॉलेज प्रोफेसर बनी।
उन्होंने आगे कहा, “पढ़ाते समय भी मैंने अभिनय जारी रखा और जर्मनी और अमेरिका में कार्यशालाओं में भाग लिया। मैं पंजाब से हूं और मैंने अपना टीवी डेब्यू 1984 में किया था। इससे पहले, मैं थिएटर से गहराई से जुड़ी था और एंकरिंग से लेकर नाटकों में अभिनय करने तक की ओर रुख किया।”
अभिनेत्री को लगता है कि ऑडिशन एक अभिनेता के जीवन का एक निरंतर हिस्सा है। कैलाशा बुआ का किरदार निभाने का अवसर उन्हें एक ऑडिशन के माध्यम से मिला। उन्हें एक मॉक शूट के लिए बुलाया गया था जो सुचारू रूप से चला, और इससे पहले कि उन्हें पता चलता, उन्हें इस भूमिका के लिए चुन लिया गया।
शो में अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं कैलाशा बुआ की भूमिका का भरपूर आनंद ले रही हूं। मुझे नकारात्मक भूमिका निभाए कुछ समय हो गया है, क्योंकि मैंने ज्यादातर सकारात्मक भूमिकाएं निभाई हैं, विशेषकर मां की। मेरी पिछली भूमिकाएं इतनी प्रतिष्ठित हो गई कि पंजाब में लोग मुझे निरूपा रॉय कहने लगे।
अभिनेत्री को लगता है कि उनकी भूमिका उन्हें उस रूढ़िवादिता की बेड़ियों को तोड़ने की अनुमति देती है, जिसका वह वर्षों से सामना करती आ रही हैं।
उन्होंने आगे कहा, “कैलाशा बुआ मुझे उस छवि को तोड़ने की अनुमति देती है। वह अपने समुदाय में एक शक्तिशाली, आधिकारिक व्यक्ति है, जिसका शब्द कानून है, और जो महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करते हुए भीमा और उसके परिवार का सामना करती है। किरदार में कई परतें हैं और मैं उसमें पूरी तरह डूबा हुआ हूं।”
‘भीमा’ एक युवा लड़की की प्रेरणादायक कहानी है जो अपनी परिस्थितियों से परे सपने देखती है और कई चुनौतियों के बावजूद सफलता के लिए प्रयास करती है। उसकी यात्रा में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामाजिक मानदंडों और बाधाओं पर काबू पाना शामिल है।
–आईएएनएस
एसएचके/जीकेटी