नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद साजिश मामले के आरोपी महेश राउत को जमानत देने का आदेश और एक सप्ताह तक प्रभावी नहीं रहेगा।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बंबई उच्च न्यायालय द्वारा जमानत पर लगाई गई रोक को 5 अक्टूबर तक बढ़ा दिया।
पीठ ने कहा, “छुट्टी दे दी गई। 5 अक्टूबर को सूचीबद्ध करें। फैसले और आदेश के क्रियान्वयन पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक सुनवाई की अगली तारीख तक जारी रहेगी।”
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने राउत को 21 सितंबर को जमानत दे दी थी। राउत नक्सलियों के साथ कथित संबंधों के कारण 6 जून, 2018 से जेल में हैं।
हालांकि, आतंकवाद-रोधी एजेंसी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने पर रोक लगाने की मांग के बाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश का कार्यान्वयन एक सप्ताह के लिए टाल दिया।
शीर्ष अदालत ने जुलाई में दो अन्य आरोपियों – वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा को जमानत दे दी थी, जो अगस्त 2018 से जेल में थे।
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को महाराष्ट्र के पुणे के शनिवारवाड़ा में कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित एल्गार परिषद के दौरान लोगों को उकसाने और उत्तेजक भाषण देने से संबंधित है, जिसने कथित तौर पर विभिन्न जाति समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया और हिंसा हुई जिसके परिणामस्वरूप लोगों की जान चली गई और महाराष्ट्र में राज्यव्यापी आंदोलन हुआ।
–आईएएनएस
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