नई दिल्ली, 22 दिसम्बर (आईएएनएस)। भोपाल की विशेष पीएमएलए अदालत ने गुरुवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में डिस्टिक्ट इंफ्रास्ट्रक्च र लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रमाकांत विजयवर्गीय को पांच साल के जेल की सजा सुनाई और साथ ही उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
आरोपी ने यह दावा करते हुए लोगों को भूखंड बेचकर अपराध की आय अर्जित की थी कि उसने कॉलोनी बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार से आवश्यक स्वीकृति प्राप्त की है। अदालत ने इस मामले में ईडी द्वारा कुर्क की गई संपत्तियों को भी जब्त करने का आदेश दिया।
ईडी ने 2010 में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467 और 471 के तहत भोपाल पुलिस द्वारा दायर एक प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। डिस्टिक्ट इन्फ्रास्ट्रक्च र लिमिटेड (डीआईएल) ने अपने एमडी विजयवर्गीय के जरिए भोपाल में पंचवटी एन्क्लेव नाम की कॉलोनी में प्लॉट बेचकर लोगों से ठगी की थी। कंपनी ने किसानों से उनकी जमीन खरीदने और उसे आवासीय कॉलोनी के रूप में विकसित करने का करार किया था।
तैयार किए गए समझौतों के बाद, विजयवर्गीय ने भूमि के उक्त टुकड़े पर वास्तव में भूमि के स्वामित्व और कब्जे के बिना और कॉलोनी के विकास के लिए आवश्यक सरकारी मंजूरी हासिल किए बिना, कॉलोनी का एक परिव्यय तैयार किया। इसके बाद उसने झूठा दावा करके कि डीआईएल को उक्त कॉलोनी के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट से मंजूरी मिली है, विभिन्न व्यक्तियों को प्लॉट बेच दिए।
इस तरह उसने उक्त कॉलोनी के 243 प्लॉट 16.60 करोड़ रुपए में बेच दिए। जांच के दौरान, यह पता चला कि अपराध की आय का एक हिस्सा डीआईएल के नाम से खरीदी गई दो अचल संपत्तियों में निवेश किया गया था। 39.89 लाख रुपये मूल्य की इन दो संपत्तियों का पता लगाया गया और 2013 में ईडी द्वारा अनंतिम रूप से कुर्क किया गया। ईडी ने 2015 में इस मामले में चार्जशीट दायर की।
–आईएएनएस
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