जबलपुर. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की चिकित्सा देखभाल के लिए अदालती आदेशों का पालन न करने के मामले में राज्य के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, केंद्र सरकार के दो सचिवों और तीन अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना का दोषी मानते हुए नोटिस जारी किये थे.
जस्टिस शील नागू और जस्टिस डी एन मिश्रा की खंडपीठ ने अपने आदेष में कहा था कि स्पष्ट है कि 10 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, प्रतिवादियों ने सर्वाेच्च न्यायालय और इस न्यायालय के निर्देशों का पालन करने में कोई तत्परता या ईमानदारी नहीं दिखाई है, जिससे गैस पीड़ित अधर में लटके हुए हैं.
आदेश का अनुपालन में देरी करके जनहित याचिका की अवधारणा को निरर्थक बनाने की पूरी कोशिश की है. इस न्यायालय को आपके द्वारा की गई इस ढिलाई के पीछे कोई उचित कारण नहीं दिखता, सिवाय गैस पीड़ितों के प्रति असंवेदनशीलता न्यायालय ने कहा है कि उनका आचरण गैस पीड़ितों के प्रति असंवेदनशीलता दर्शाता है. इन्हें जारी
किये गये थे अवमानना नोटिस
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक सचिव आरती आहूजा, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ उपनिदेशक आर. रामा कृष्णन, भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) की पूर्व निदेशक प्रभा देसिकन और राष्ट्रीय पर्यावरण स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (एनआईआरईएच) के निदेशक डॉ. राज नारायण तिवारी जारी किये थे. इसके पूर्व याचिका याचिका की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं गैस राहत, मोहम्मद सुलेमान और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) का दोषी ठहराते हुए अवमानना नोटिस जारी किये थे. आदेश के खिलाफ दायर की गयी अपील की सुनवाई के बाद संबंधित अधिकारियों को राहत मिल गयी थी.