नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय की मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रम समिति (वीएसी) द्वारा ‘राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर केंद्रित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शामिल आरएसएस के पूर्व सर कार्यवाहक सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि भारत भूमि स्वर्ण भूमि रही है और आज उस भूमि के निर्माताओं के स्मरण करने का दिन है।
उन्होंने वर्तमान सभ्यता पर चर्चा करते हुए कहा कि आज पश्चिमी देशों की तर्ज़ पर भौतिक विकास को विकास का पैमाना मान लिया गया है जो कि हमारे स्वभाव के अनुकूल नहीं है। जोशी ने भारत के विश्वगुरु बनने के लिए शिक्षा द्वारा अनुकरणीय व्यक्तित्व के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अन्तःकरण की देशभक्ति की शक्ति ही किसी राष्ट्र को शक्तिशाली बनाती है और मानव के आंतरिक सामर्थ्य को उजागर करके ही हम श्रेष्ठ राष्ट्र बन सकते हैं।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि स्वाध्याय किसी मानव को शिक्षक और शिक्षित बनाती है। राष्ट्र निर्माण शिक्षक के इर्द-गिर्द ही होता है। शिक्षा बड़ा प्रभावशाली शस्त्र है और यह संस्कार के साथ मिलकर मानवता को नई दिशा दे सकती है।
कार्यक्रम के संयोजक वह दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन प्लानिंग प्रो. निरंजन कुमार ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया केवल आर्थिक और राजनीतिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और मूल्यपरक अवधारणा है।
प्रो. कुमार ने बताया कि पिछले लगभग डेढ़-दो दशक में विश्वविद्यालय स्तर पर अपनी तरह का यह पहला आयोजन है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्वामी विवेकानंद, भारत के पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षक सर्वपल्ली राधाकृष्णन, एपीजे अब्दुल कलाम का स्मरण करते हुए उनके सादगी भरे व्यक्तित्व को जीवन में उतारने की बात की। उन्होंने अनेक क्षेत्रों में भारत की लगातार बढ़ती प्रगति के पीछे शिक्षकों का हाथ बताते हुए 2047 तक भारत देश के विकसित होने की बात की।
कार्यक्रम में जस्टिस एस. एन. अग्रवाल द्वारा लिखित ‘भारत ऐज़ विश्वगुरु’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया, जिसके बारे में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश श्री आदर्श गोयल जी ने संक्षिप्त में बताया।
इस कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों समेत अकादमिक जगत, पुलिस-प्रशासन, विधि और उद्योग जगत के राष्ट्रीय स्तर के गणमान्य व्यक्तित्व और विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर्स और शोधार्थी बड़ी संख्या में मौज़ूद रहे।
–आईएएनएस
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