जबलपुर/शहडोल. प्रदेश में पीएम आवास योजना (पीएमएवाई) की राशि निर्धन हितग्राहियों को छत मुहैया कराने में कम अधिकारियों की मौज में ज्यादा खर्च हो रही हैं. इसकी बानगी जबलपुर के बाद हालहीं में शहडोल में सामने आई घटनाएं दे रही हैं. आरोप लग रहे हैं कि शहडोल में योजना के तहत एक गरीब हितग्राही को आवास देने की योजना आर्थिक अनियमिताओं की भेंट चढ़ गई. यह मामला बुढ़ार जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत बरगंवा 18 के ग्राम जमुड़ी का है.
जहां वार्ड-17 निवासी दशरथ सिंह के नाम पर आवास स्वीकृत हुआ था, वह आज अपना गांव छोडऩे को मजबूर हैं. आरोप है कि पंचायत के अधिकारियों ने उनके आवास निर्माण के लिए आवंटित राशि का बंदरबांट कर लिया. ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक और प्रभारी सचिव ने दावा किया कि दशरथ सिंह के मकान की दो किश्तें जारी हो चुकी हैं. छत की ढलाई के लिए तीसरी किश्त दी जानी है. प्रभारी सचिव के दावें कागजों पर तो एकदम सही नजर आते हैं लेकिन इसकी जमीनी हकीकत दावों से बिल्कुल विपरीत हैं. पीएम आवास योजना के तहत जहां आवास निर्माण होना था वो भूमि खाली पड़ी हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि दशरथ को जब इस गड़बड़ी का पता चला, तो वह इस अन्याय से इतना आहत हुआ कि उसने अपना गांव ही छोड़ दिया.
हितग्राही के पैसे का बंदरबांट का आरोप
दशरथ सिंह के नाम पर स्वीकृत आवास की राशि पंचायत सचिव और उनके सहयोगियों द्वारा कथित रूप से हड़प ली गई. सचिव का कहना है कि निर्माण छत स्तर तक हो चुका है, लेकिन मौके पर केवल बंजर जमीन दिखाई दे रही है. यह मामला पंचायत में जारी भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है. दशरथ सिंह के आवास का पैसा गबन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच और सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है. इसके साथ ही, पंचायत द्वारा कराए गए अन्य निर्माण कार्यों की भी जांच आवश्यक है ताकि अन्य अनियमितताओं को उजागर किया जा सके.
जबलपुर में भी सामने आ चुका हैं मामला
शहपुरा, जबलपुर निवासी राजेश सिंह राजपूत ने एक शिकायत में कहा था कि एक पति-पत्नी, मां-बाप, बेटा-बेटी को एक दस्तावेज के आधार पर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दे दिया गया. उन्होंने इसे एक बड़ा घोटाला बताया था. जिसे अंजाम देने का आरोप नगर परिषद, शहपुरा भिटौनी में सत्तासीन पार्टी के नेताओं व नगर परिषद के कुछ अधिकारियों पर लगाया गया. नगर परिषद सीएमओ पूजा बुनकर द्वारा इस संबंध में जबलपुर के तत्कालीन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा से शिकायत भी की गई है. जिसे गंभीरता से लेकर कलेक्टर ने जांच के लिए टीम भी गठित कर दी.
कुल 1077 स्वीकृत आवास
मामले को राजेश सिंह राजपूत ने याचिकाकर्ता बन न्यायालय की शरण भी ली थी. इस मामले की बहस के दौरान सामने आया कि नगर परिषद, शहपुरा भिटौनी में कुल 1077 स्वीकृत आवास हैं. सीएमओ पूजा बुनकर के अनुसार 1081 का डीपीआर में 65 फीसद आवास अभी अपूर्ण है. वहीं 400 आवासों का कार्य फिलहाल शुरू नहीं हो सका है. इसके बावजूद आलम यह है कि 25 आवास ऐसे लोगों को मिल गए हैं, जिनके पहले से दो-दो मंजिला मकान हैं. 47 आवास ऐसे लोगों को मिल गए हैं, जिनकी समग्र आइडी, मतदाता परिचय पत्र व निवास स्थान नगर परिषद क्षेत्र के बाहर का है. 18 हितग्राहियों को राशि लौटाने का प्रस्ताव दिया गया है. कुछ हितग्राही अपनी गलती स्वीकार कर राशि लौटा भी चुके हैं.