सतना, देशबन्धु. कस्बाई क्षेत्रों में अल सुबह कोहरा होने के कारण मेला क्षेत्र में भीड़ दोपहर के बाद देखी गई लेकिन मकर संक्राति धार्मिक स्थलों में लगे मेले में लोगों के पहुंचने का क्रम अल सुबह से ही शुरू हो गया था. जो देर शाम तक चलता रहा.
यहां भरा मेला
मकर संक्रांति का मेला जिले के मझगवां विकासखंड के अंतर्गत आने वाले सरभंगमुनि आश्रम, सगर मुनि आश्रम सहित धारकुण्डी जैतवारा के पावा में भरा इसी तरह से जिला मुख्यालय में सतना नदी के किनारे, बिरसिंहपुर सतना रोह स्थित ऊधव धाम, उचेहरा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले कर्मदेश्वर नाथ मंदिर, चौमुख नाथ मंदिर, रैंगांव विधान सभा के पटपरनाथ मंदिर में मेला भरा यहां पर काफी संख्या में लोग पहुंच कर सबसे पहले मंदिर में जाकर पूजा आर्चना की . इसके बाद मेले में लगे खाने पीने के ठेलों में जाकर विविध व्यंजनों का स्वाद चखा. सबसे ज्यादा भीड़ चाट और फुलकी के ठेले में देखी गई. जहां तक बिक्री की बात है तो लाइ के साथ गन्ने की सबसे ज्यादा बिक्री रही.
तीन दिवसीय लगता है मेला
मझगवां विकासखंड के अंतर्गत आने वाले सरभंग मुनि आश्रम में मकर संक्रांति से तीन दिवसीय मेला भरता है. यह जिले का एक लौता स्थान है जहां तीन दिन तक मेला चलता है. इस स्थान के बारे में मान्यता है कि सौबार गंगा तो एक बार सरभंगा, यही वजह है कि मकर संक्रांति पर्व पर यहां पर तीन दिन तक मेला भरता है. काफी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालु मंदिर के बाहर बने कुण्ड में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं.
महंगा बिका गन्ना
नये वर्ष के पहले मेले में पिछले बार की अपेक्षा गन्न ज्यादा महंगा बिका. बताया गया है कि गन्ना साइज के हिसाब से 40 रुपये से लेकर 70 रुपये प्रतिपीस बिका. पिछली वर्ष की अपेक्षा इस बार गन्ना महंगा बिकने की वजह गन्ने का कम उत्पादन बताया जा रहा है. ज्ञात हो कि गन्ने का सबसे ज्यादा उत्पादन अमरपाटन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मुकुंदपुर क्षेत्र से लगे गांवों में होता है. लेकिन यहां के किसानों का मोह इस खेती से भंग होता जा रहा है मांग के अनुसार उत्पादन नहीं होने के चलते गन्ना महंगा बिक रहा है.
बच्चों ने उड़ाई पतंग
संक्राति सूर्य के एक नई राशि में प्रवेश का प्रतीक है. आज के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्राति कहते हैं. यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन की घोषणा करता है जो खगोलीय और कृषि चक्रो में एक महत्वपूणर्् मोड़ है. लोग पंतग उड़ाकर परंपरिक मीठे पकवान तिल आदि के लड्डू बनाकर और नदियों में पवित्र ड़बकी लगाकर इस त्योहार को मनाते है.
पौराणिक कथा अनुसार सबसे पहले श्रीराम ने मकर संक्राति के दिन पतंग उड़ाई थी और उनकी पतंग उड़ते-उड़ते इंद्रलोक में जा पहुंची थी जिसे देखकर सभी देवी देवता प्रसन्न हो गये थे. कहते हैं तभी से पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है. आज मकर संक्राति के अवसर पर जगह-जगह दुकानो से बच्चो सहित बड़ो ने डोरी के साथ पतंगे खरीदी और उड़ाकर उत्साह मनाते हुये जमकर आनंद लिया.