deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

मजरूह सुल्तानपुरी: पहले फिल्मफेयर विजेता गीतकार, जिन्होंने शुरू में ठुकराया था फिल्मी गानों का ऑफर

देशबन्धु by देशबन्धु
September 30, 2025
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

मुंबई, 30 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा में कुछ कलाकार ऐसे होते हैं, जिनकी कलम सिर्फ गीत नहीं लिखती, बल्कि वह पीढ़ियों के दिलों की धड़कन बन जाती है। गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी, जो अपनी शायरी में एक दार्शनिक की गहराई और एक विद्रोही का जोश रखते थे, ऐसे ही एक महान गीतकार थे।

READ ALSO

राहुल गांधी बताएं मुंबई हमले में अमेरिका का दबाव था या नहीं : संजय निरुपम

सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में हम एक भी टूर्नामेंट नहीं हारे : सैयद किरमानी

एक शायर और गीतकार जिन्होंने अपनी लेखनी से न सिर्फ प्रेम की मिठास बिखेरी, बल्कि दर्द, संघर्ष और सामाजिक संदेशों को भी शब्दों में पिरोया। मजरूह सुल्तानपुरी वो जादूगर थे, जिनके गीत आज भी हमारे दिलों में गूंजते हैं, जैसे “जब दिल ही टूट गया” या “प्यार हुआ इकरार हुआ।”

ADVERTISEMENT

मजरूह की लेखनी की खासियत थी उनकी सादगी और गहराई। चाहे प्रेम का उत्सव हो या टूटे दिल का मातम, उनके शब्द हर भाव को जीवंत कर देते थे। फिल्म ‘अंदाज’ (1949) का “तू कहे अगर, जिंदगी भर मैं गीत सुनाता जाऊं” उनके गीत हर पीढ़ी के साथ जुड़ गए।

उन्होंने राज कपूर, गुरुदत्त और यश चोपड़ा जैसे दिग्गजों के साथ काम किया और हर बार अपनी लेखनी से कहानी को नई ऊंचाइयों तक ले गए। 1995 की ब्लॉकबस्टर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में उनके गीत “तुझे देखा तो ये जाना सनम” ने नई पीढ़ी को भी उनके जादू से बांध लिया। मजरूह की खूबी थी कि वे हर दौर के साथ बदले, फिर भी अपनी जड़ों से जुड़े रहे।

मजरूह सुल्तानपुरी पहले गीतकार थे, जिन्हें 1964 में फिल्म ‘दोस्ती’ के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। उनके गीत “चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे” ने दोस्ती की भावना को अमर कर दिया। 1994 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

1 अक्टूबर 1919 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में जन्मे मजरूह का असली नाम असरार हसन खान था। उर्दू साहित्य और शायरी के प्रति उनका प्रेम बचपन से ही था। एक पारंपरिक परिवार में पले-बढ़े मजरूह ने हकीम (यूनानी चिकित्सक) के रूप में करियर शुरू किया, लेकिन उनकी आत्मा शब्दों में बसी थी।

ADVERTISEMENT

मुशायरों में उनकी शायरी ने जल्द ही उन्हें स्थानीय ख्याति दिलाई। 1940 के दशक में जब वे मुंबई पहुंचे, तो उनकी मुलाकात मशहूर निर्माता-निर्देशक करदार साहब से हुई। यहीं से शुरू हुआ उनका सिनेमा का सफर। उनके जीवन से जुड़ा एक ऐसा ही किस्सा है जो बताता है कि कैसे एक साहित्यिक कवि फिल्मों के लिए लिखने को तैयार नहीं था, लेकिन एक मुलाकात ने उनका नजरिया हमेशा के लिए बदल दिया। इसका जिक्र उनकी जीवनी से जुड़ी किताबों में मिलता है।

यह बात 1940 के दशक की है, जब मजरूह सुल्तानपुरी अपनी साहित्यिक नज्मों और गजलों के लिए जाने जाते थे। वह ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ के एक प्रमुख सदस्य थे और फिल्मी गीतों को अपनी कला के दर्जे से कमतर मानते थे। उनकी इस सोच के बावजूद महान गायक के. एल. सैगल ने उन्हें मुंबई बुलाया।

सैगल ने मजरूह को उस दौर के सबसे बड़े संगीतकार नौशाद से मिलवाया। नौशाद ने मजरूह से उनकी कला का एक छोटा सा इम्तिहान लेने का फैसला किया। उन्होंने मजरूह से कहा कि वह एक खास परिस्थिति पर एक गीत लिखें जहां एक नायक और नायिका पहली बार मिल रहे हों।

मजरूह को यह सब बेहद अजीब लगा। उन्हें लगा कि फिल्मी गीतकार बनना उनकी साहित्यिक प्रतिष्ठा के खिलाफ है। उन्होंने नौशाद और वहां मौजूद अभिनेता दिलीप कुमार से सीधे शब्दों में कह दिया, “मैं इस तरह की शायरी नहीं करता। मैं तो बस अपनी गजलें और नज्में लिखता हूं।”

ADVERTISEMENT

नौशाद और दिलीप कुमार ने मजरूह के इस जवाब में उनकी ईमानदारी देखी। दिलीप कुमार ने उन्हें समझाया कि कला किसी भी रूप में हो, वह कला ही रहती है, चाहे वह एक साहित्यिक मंच पर हो या सिनेमा के लिए।

मजरूह ने आखिरकार उनके कहे अनुसार एक गीत लिखा, जिसने नौशाद को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने मजरूह को अपना पहला फिल्मी गीत लिखने का मौका दिया। मजरूह ने जो गीत लिखा, वह था “जब उसने गेसू बिखराए…”। बाकी तो इतिहास है।

–आईएएनएस

जेपी/डीएससी

देशबन्धु

Related Posts

ताज़ा समाचार

राहुल गांधी बताएं मुंबई हमले में अमेरिका का दबाव था या नहीं : संजय निरुपम

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में हम एक भी टूर्नामेंट नहीं हारे : सैयद किरमानी

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ से बिजली बिल हुआ शून्य, धमतरी के लाभार्थी लोकेश ने बताए फायदे

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

यूजीसी का निर्देश: 12 जनवरी 2026 को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाएं सभी उच्च शिक्षण संस्थान

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

उत्तरकाशी में 10 दिन बाद मिला राजीव प्रताप का शव, एसपी ने बताई मौत की वजह

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

तमिलनाडु : दिशा समिति बैठक में सांसद सी.एन. अन्नादुरई ने योजनाओं के पारदर्शी क्रियान्वयन की हिदायत दी

September 30, 2025
Next Post

समाज में एकता और सांस्कृतिक जीवंतता की भावना को दर्शाता है दुर्गा पूजा का उत्सव: पीएम मोदी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

116375
Total views : 6028678
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In