मझौली. प्रदेश सरकार द्वारा किसी भी घटना दुर्घटना अथवा मृत्यु के स्थिति में निशुल्क वाहन पीड़ित एवं प्रभावित परिवारों को मिले जिसके लिए जननी वाहन एवं 108 एंबुलेंस वाहन तैनात किए गए हैं लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली अंतर्गत जरूरतमंद एवं प्रभावित लोगों को मौके पर उक्त वाहनों की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है.बताया जा रहा है कि एम्बुलेंस चालक मनमानी पर उतारू है षडयंत्र रच अपने लोगों से इवेंट लेकर नाजायज कहीं पर खड़े रहते हैं. जो एक तरफ विभाग को वहीं दूसरी तरफ प्रभावित लोगों को भी गुमराह कर रहे हैं.
सूत्रों एवं प्रभावित लोगों के मुताबिक जब दुर्घटना से प्रभावित व्यक्ति को अस्पताल मझौली से जिला अस्पताल रेफर करने के लिए 108 एंबुलेंस वाहन के लिए कॉल किया जाता है तो वह कॉल हेड ऑफिस भोपाल जाता है जहां से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली के लिए अधिकृत वाहन चालक को सूचना दी जाती है एवं पीड़ित व्यक्ति के पास भी एंबुलेंस चालक का नंबर उपलब्ध कराया जाता है और कहा जाता है कि वाहन चालक से संपर्क करें लेकिन जब प्रभावित व्यक्ति वाहन चालक से संपर्क करते हैं तो भले ही वाहन मझौली में ही कहीं खड़ा हो लेकिन वाहन चालक सीधे कह देते हैं कि अभी दूसरे मरीज को छोड़ने आए हैं तीन से चार घंटा समय लगेगा ऐसे में प्रभावित व्यक्ति के लिए इतना समय इंतजार करना कठिन होता है और मजबूरी में निजी वाहन के द्वारा जिला अस्पताल पहुंचता है.
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इतना ही नहीं प्रभावित लोगों द्वारा यह भी बताया गया कि अगर वाहन चालक मौके पर उपलब्ध हैं और उन्हें नजराना दे दिया जाता है तो तुरंत चल भी देते हैं ऐसे में सवाल उठता है कि एंबुलेंस वाहन चालकों के नियंत्रण के लिए किसके पास शिकायत की जाए और व्यवस्था में सुधार हो इसके लिए क्या किया जाए. फिलहाल जिन लोगों के लिए वाहन तैनात किए गए हैं उन्हें एंबुलेंस वाहन की सुविधा बहुत कम ही मिल पाती है जिस ओर प्रभावित लोगों ने जिला प्रशासन का ध्यान आकर्षित कर व्यवस्था सुधार की मांग की है.
इस प्रकार है वाहनों का लेखा-जोखा
मिल रही जानकारी के अनुसार मझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बात की जाए तो यहां तीन जननी वाहन एवं दो 108 एम्बुलेंस वाहन तैनात हैं लेकिन फोन करने पर कभी वाहन खराब होने का बहाना कभी अन्य मरीज को लाने व ले जाने का बहाना करके टालमटोल कर दिया जाता है जिस कारण कई गंभीर घायल लोगों की मौत हो जाती है और कई गर्भवती महिलाओं की भी वाहन के अभाव में प्राथमिक उपचार समय से न होने पर मौत हो जाती है.
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