नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को एक बार फिर मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य के लोग देख रहे हैं कि “कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय राज्य छोड़ दिया जब उनके हस्तक्षेप और पहुंच की सबसे ज्यादा जरूरत थी।”
कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
–आईएएनएस
एफजेड/एबीएम
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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को एक बार फिर मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य के लोग देख रहे हैं कि “कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय राज्य छोड़ दिया जब उनके हस्तक्षेप और पहुंच की सबसे ज्यादा जरूरत थी।”
कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को एक बार फिर मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य के लोग देख रहे हैं कि “कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय राज्य छोड़ दिया जब उनके हस्तक्षेप और पहुंच की सबसे ज्यादा जरूरत थी।”
कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को एक बार फिर मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य के लोग देख रहे हैं कि “कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय राज्य छोड़ दिया जब उनके हस्तक्षेप और पहुंच की सबसे ज्यादा जरूरत थी।”
कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
–आईएएनएस
एफजेड/एबीएम
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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को एक बार फिर मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य के लोग देख रहे हैं कि “कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय राज्य छोड़ दिया जब उनके हस्तक्षेप और पहुंच की सबसे ज्यादा जरूरत थी।”
कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को एक बार फिर मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य के लोग देख रहे हैं कि “कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय राज्य छोड़ दिया जब उनके हस्तक्षेप और पहुंच की सबसे ज्यादा जरूरत थी।”
कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को एक बार फिर मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य के लोग देख रहे हैं कि “कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय राज्य छोड़ दिया जब उनके हस्तक्षेप और पहुंच की सबसे ज्यादा जरूरत थी।”
कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।
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कांग्रेस ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ” मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का आज 175वां दिन है। लेकिन, मणिपुर की जनता और उन सभी लोगों के पांच सवाल अभी भी हैं, जो राज्य में शांति और विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
1- प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य के विधायकों से मुलाक़ात क्यों नहीं की, जिनमें से अधिकांश उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
2- लोकसभा में मणिपुर (आंतरिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मिल पाए हैं?
3- सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए।
4- जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?
5- जो मुख्यमंत्री मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बुरी तरह से बदनाम हो चुका है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी मणिपुर में तीन मई को हुई जातीय झड़प और उसके बाद पैदा हुए संकट के संदर्भ में आई है। कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है। उसने एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग की है।