इंफाल, 8 अगस्त (आईएएनएस)। मणिपुर के भाजपा विधायक राजकुमार इमो सिंह ने मंगलवार को सभी विधायकों से आग्रह किया कि वे आगामी विधानसभा सत्र में भाग लें और सदन के पटल पर हर चीज पर चर्चा करें व सभी मुद्दों को मिलकर सुलझाएं।
विपक्षी कांग्रेस सहित अन्य की मांगों का जवाब देते हुए, मणिपुर सरकार ने पिछले सप्ताह 21 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाया।
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के दामाद भाजपा विधायक ने कहा कि उन्हें (आदिवासी विधायकों को) विधानसभा सत्र में भाग लेना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारें उन्हें कड़ी सुरक्षा प्रदान करेंगी।
सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा, ”हम सभी एक-दूसरे की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।”
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल के वे विधायक जिन्होंने अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) का समर्थन किया था, और राज्य की भाजपा नीत सरकार से समर्थन भी वापस ले लिया था, उन्हें आदर्श रूप से विधानसभा से इस्तीफा दे देना चाहिए और उन्हें राज्य सरकार से वेतन नहीं लेना चाहिए।
सिंह ने कहा, “ये विधायक सरकार के सभी लाभों का आनंद लेते हैं और फिर भी मणिपुर के खिलाफ बोलते हैं।” सिंह ने पहले भी कई मौकों पर केंद्र सरकार से मणिपुर संकट को जल्द से जल्द हल करने का आग्रह किया था।
पूर्वोत्तर राज्य में मौजूदा स्थिति के बीच, मणिपुर विधानसभा में दो विधायकों वाले कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।
मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को संबोधित पत्र में केपीए अध्यक्ष तोंगमांग हाओकिप ने कहा था: “मौजूदा संघर्ष पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार के लिए समर्थन अब निरर्थक नहीं है।”
भाजपा विधायक सिंह ने कहा कि केपीए द्वारा समर्थन वापस लेने के बावजूद, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि उसके पास पर्याप्त संख्या से अधिक समर्थक विधायक हैं।
इस बीच, 12 मई से सात भाजपा विधायकों सहित 10 विधायक और इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) और कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम) सहित कई आदिवासी संगठन आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) की मांग कर रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह, सत्तारूढ़ भाजपा और मैतेई समुदाय की शीर्ष संस्था मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति सहित कई अन्य संगठन अलग प्रशासन की मांग का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
–आईएएनएस
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