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मणिपुर सरकार म्यांमार के शरणार्थियों को हिरासत केंद्रों में रखेगी

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March 30, 2023
in राष्ट्रीय
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मणिपुर सरकार म्यांमार के शरणार्थियों को हिरासत केंद्रों में रखेगी
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इंफाल, 30 मार्च (आईएएनएस)। मणिपुर सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य में शरण मांगने वाले म्यांमार के शरणार्थियों की पहचान करने और उन्हें निर्धारित हिरासत केंद्रों (डिटेंशन सेंटर) में रखने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

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एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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इंफाल, 30 मार्च (आईएएनएस)। मणिपुर सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य में शरण मांगने वाले म्यांमार के शरणार्थियों की पहचान करने और उन्हें निर्धारित हिरासत केंद्रों (डिटेंशन सेंटर) में रखने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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इंफाल, 30 मार्च (आईएएनएस)। मणिपुर सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य में शरण मांगने वाले म्यांमार के शरणार्थियों की पहचान करने और उन्हें निर्धारित हिरासत केंद्रों (डिटेंशन सेंटर) में रखने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

–आईएएनएस

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इंफाल, 30 मार्च (आईएएनएस)। मणिपुर सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य में शरण मांगने वाले म्यांमार के शरणार्थियों की पहचान करने और उन्हें निर्धारित हिरासत केंद्रों (डिटेंशन सेंटर) में रखने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

–आईएएनएस

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

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म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

इंफाल, 30 मार्च (आईएएनएस)। मणिपुर सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य में शरण मांगने वाले म्यांमार के शरणार्थियों की पहचान करने और उन्हें निर्धारित हिरासत केंद्रों (डिटेंशन सेंटर) में रखने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

–आईएएनएस

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इंफाल, 30 मार्च (आईएएनएस)। मणिपुर सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य में शरण मांगने वाले म्यांमार के शरणार्थियों की पहचान करने और उन्हें निर्धारित हिरासत केंद्रों (डिटेंशन सेंटर) में रखने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

–आईएएनएस

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

मिजोरम सरकार, विभिन्न एनजीओ और चर्च महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

मंत्रियों के साथ अधिकारियों ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों की पहचान करने में मदद करें और उन्हें अपने घरों में आश्रय न दें।

हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

शरणार्थियों में शामिल म्यांमार के सांसद थांगसेल हाओकिप मणिपुर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर मोरेह में मंत्रिस्तरीय टीम से कहा कि वे भारतीय क्षेत्र में शरण लेना चाहेंगे, क्योंकि सैंगंग में म्यांमार की सेना और पीडीएफ कैडरों के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। म्यांमार का क्षेत्र सैंगंग भारतीय राज्यों मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के करीब है।

म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

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अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 प्रवासी संघर्ष-ग्रस्त म्यांमार से भाग चुके हैं, जहां फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता संभाली थी।

एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सीमा क्षेत्रों के पास म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण हजारों शरणार्थी म्यांमार से मणिपुर में आ गए हैं। हालात पर नजर रखने के लिए मणिपुर सरकार ने हाल ही में जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है।

हाओकिप के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय समिति ने पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार सीमा से सटे मोरेह और चंदेल जिले के गमफाजोल गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

मणिपुर म्यांमार के साथ 400 किमी की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।

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हाओकिप ने मीडिया से कहा कि सभी म्यांमार शरणार्थियों को अस्थायी हिरासत केंद्रों में रहना होगा और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें म्यांमार लौटना होगा।

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म्यांमार सेना और प्रतिरोध समूह पीडीएफ के बीच संघर्ष के बीच मणिपुर सरकार ने म्यांमार सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और असम राइफल्स को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मणिपुर से लगी भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत कर दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पैदल गश्त चौबीसों घंटे तेज कर दी गई है।

इसके अलावा, मणिपुर राज्य राइफल्स, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों सहित अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया है।

फरवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद लगभग 31,000 म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में शरण दी गई है।

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