इंफाल, 9 नवंबर (आईएएनएस)। मणिपुर सरकार ने चार नागा आदिवासी बहुल पहाड़ी जिला मुख्यालयों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं से प्रतिबंध हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 3 मई से राज्य में चल रही जातीय हिंसा से प्रभावित नहीं हैं।
अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि उखरूल, सेनापति, चंदेल और तामेंगलोंग के जिला मुख्यालयों में ट्रायल के आधार पर इंटरनेट प्रतिबंध हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जो नागा आदिवासी आबादी वाले क्षेत्र हैं।
मणिपुर हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को उन सभी जिला मुख्यालयों में (जातीय हिंसा से प्रभावित नहीं हैं) परीक्षण (ट्रायल) के आधार पर मोबाइल इंटरनेट सेवाएं फिर से शुरू करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद मणिपुर सरकार ने यह पहल की।
चार पहाड़ी जिला मुख्यालयों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को फिर से शुरू करने के राज्य सरकार के कदमों के मद्देनजर, ऑल नागा स्टूडेंट्स एसोसिएशन, मणिपुर (एएनएसएएम) ने गुरुवार को राजमार्गों से आर्थिक नाकेबंदी वापस लेने की घोषणा की।
एएनएसएएम ने एक बयान में कहा, ”चल रहे संघर्ष के बीच आम जनता को होने वाली गंभीर कठिनाई को देखते हुए और नागा विधायक मंच (एनएलएफ) के संयोजक अवांगबो न्यूमाई के दो वैध मांगों को पूरा करने के आश्वासन के बाद संगठन, एएनएसएएम, कार्यकारी परिषद और एनएलएफ के प्रतिनिधियों की आपातकालीन बैठक में एसोसिएशन ने चल रही आर्थिक नाकेबंदी को अस्थायी रूप से निलंबित करने का निर्णय लिया है।”
अवांगबो न्यूमाई बीजेपी के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार में मंत्री भी हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सहायक प्रोफेसर (145+45 एसटी स्पेशल ड्राइव) की भर्ती के लिए परीक्षा का परिणाम शीघ्र घोषित किया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि 26 अक्टूबर को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की मौजूदगी में राज्य सरकार और एएनएसएएम के बीच हस्ताक्षरित समझौतों को लागू करने में विफलता की स्थिति में चल रहा आंदोलन किसी भी समय फिर से शुरू किया जाएगा।
एक निवारक उपाय के रूप में और असामाजिक तत्वों द्वारा हानिकारक संदेशों, फ़ोटो और वीडियो के प्रसार को रोकने के लिए मणिपुर के गृह आयुक्त टी. रणजीत सिंह ने हाल ही में राज्य भर में मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को और बढ़ा दिया था।
3 मई को मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच विनाशकारी जातीय हिंसा भड़कने के बाद पूरे पूर्वोत्तर राज्य में मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
स्थिति काफी हद तक सामान्य होने के बाद 23 सितंबर को प्रतिबंध हटा लिया गया। लेकिन 26 सितंबर को इसे फिर से लागू करना पड़ा जब एक लड़की सहित दो युवा लापता छात्रों के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद सैकड़ों छात्र सुरक्षा बलों के साथ भिड़ गए थे।
–आईएएनएस
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