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Home ताज़ा समाचार

मद्रास हाईकोर्ट ने पानी की टंकी में मानव मल की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया

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March 29, 2023
in ताज़ा समाचार
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मद्रास हाईकोर्ट ने पानी की टंकी में मानव मल की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया
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चेन्नई, 29 मार्च (आईएएनएस)। मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुकोट्टई जिले के वेंगवायिल में दलित कॉलोनी में पानी की आपूर्ति करने वाले एक ओवरहेड पानी के टैंक में मानव मल की उपस्थिति की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।

अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

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यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

गौरतलब है कि मानव मल दिसंबर 2022 में पीने के पानी की टंकी में पाया गया था।

–आईएएनएस

एफजेड/एएनएम

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चेन्नई, 29 मार्च (आईएएनएस)। मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुकोट्टई जिले के वेंगवायिल में दलित कॉलोनी में पानी की आपूर्ति करने वाले एक ओवरहेड पानी के टैंक में मानव मल की उपस्थिति की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।

अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

गौरतलब है कि मानव मल दिसंबर 2022 में पीने के पानी की टंकी में पाया गया था।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 29 मार्च (आईएएनएस)। मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुकोट्टई जिले के वेंगवायिल में दलित कॉलोनी में पानी की आपूर्ति करने वाले एक ओवरहेड पानी के टैंक में मानव मल की उपस्थिति की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।

अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

गौरतलब है कि मानव मल दिसंबर 2022 में पीने के पानी की टंकी में पाया गया था।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 29 मार्च (आईएएनएस)। मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुकोट्टई जिले के वेंगवायिल में दलित कॉलोनी में पानी की आपूर्ति करने वाले एक ओवरहेड पानी के टैंक में मानव मल की उपस्थिति की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।

अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

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अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

गौरतलब है कि मानव मल दिसंबर 2022 में पीने के पानी की टंकी में पाया गया था।

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अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

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उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

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अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

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उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

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अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

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उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

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गौरतलब है कि मानव मल दिसंबर 2022 में पीने के पानी की टंकी में पाया गया था।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 29 मार्च (आईएएनएस)। मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुकोट्टई जिले के वेंगवायिल में दलित कॉलोनी में पानी की आपूर्ति करने वाले एक ओवरहेड पानी के टैंक में मानव मल की उपस्थिति की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।

अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

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–आईएएनएस

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अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

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उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

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अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

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उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

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चेन्नई, 29 मार्च (आईएएनएस)। मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुकोट्टई जिले के वेंगवायिल में दलित कॉलोनी में पानी की आपूर्ति करने वाले एक ओवरहेड पानी के टैंक में मानव मल की उपस्थिति की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।

अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

गौरतलब है कि मानव मल दिसंबर 2022 में पीने के पानी की टंकी में पाया गया था।

–आईएएनएस

एफजेड/एएनएम

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चेन्नई, 29 मार्च (आईएएनएस)। मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुकोट्टई जिले के वेंगवायिल में दलित कॉलोनी में पानी की आपूर्ति करने वाले एक ओवरहेड पानी के टैंक में मानव मल की उपस्थिति की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।

अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

गौरतलब है कि मानव मल दिसंबर 2022 में पीने के पानी की टंकी में पाया गया था।

–आईएएनएस

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अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आर. रवींद्रन ने सीबी-सीआईडी जांच अधिकारी की रिपोर्ट पेश की और अदालत को सूचित किया कि एजेंसी ने मामले में 147 लोगों से पूछताछ की थी और कहा कि इन गवाहों के विरोधाभासी बयान थे। उन्होंने कहा कि विरोधाभासी बयानों के कारण आगे की जांच की जा रही है।

गौरतलब है कि मानव मल दिसंबर 2022 में पीने के पानी की टंकी में पाया गया था।

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अदालत ने आयोग को वेंगवायिल दलित बस्ती का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति भारती चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया।

यह आदेश तिरुवल्लूर जिले के वेप्पम्पट्टू के एक व्यक्ति राजकमल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में अस्पृश्यता मौजूद है। संविधान में दिया गया सामाजिक न्याय भी देश में एससी/एसटी समुदायों के लिए एक लंबा सपना था।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सीबी-सीआईडी टीम का गठन करने के बाद भी मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।

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