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मध्य पूर्व देश क्यों चीन के साथ सहयोग करना चाहते हैं?

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December 7, 2022
in ताज़ा समाचार
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मध्य पूर्व देश क्यों चीन के साथ सहयोग करना चाहते हैं?
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बीजिंग, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। 7 से 10 दिसंबर तक चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग सऊदी अरब की राजधानी रियाद में पहली चीन-अरब देश शिखर बैठक, चीन-खाड़ी सहयोग परिषद शिखर बैठक में भाग लेंगे और सऊदी अरब की राजकीय यात्रा करेंगे। यह चीन और अरब देशों के संबंधों में एक मील का पत्थर है, जो चीन-अरब देशों की रणनीतिक साझेदारी का एक नया अध्याय जोड़ेगा।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में वर्तमान में मध्य पूर्व देशों का चीन के साथ करीब आने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, चीन और मध्य पूर्व देश राजनीति में एक दूसरे का सम्मान करते हैं और सहयोग का मजबूत आधार है। चीन कभी भी दूसरे देश के अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप नहीं करता है और हमेशा मध्य पूर्व की जनता का स्वतंत्रता से अपने विकास का रास्ता निकालने का समर्थन करता है। मध्य पूर्व सवाल पर चीन न्यायपूर्ण सिद्धांत पर कायम रहकर शांति और वार्ता बढ़ाने की कोशिश करता है, जो एक विश्वसनीय बड़ा देश है। चीन द्वारा प्रस्तावित बेल्ट एंड रोड पहल मध्य पूर्व देशों के लिए मूल्यवान मौका भी प्रदान करता है। उधर, मध्य पूर्व देश थाईवान, शिनच्यांग व मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर चीन का अटल समर्थन करते हैं।

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दूसरा, चीन और मध्यपूर्व देशों के बीच बड़ी आर्थिक पूरकता मौजूद है। दोनों पक्षों के सहयोग का उज्‍जवल भविष्य है। चीन मध्य पूर्व के कई देशों का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। इस साल की पहले तीन तिमाहियों में चीन और अरब देशों का व्यापार 3 खरब 19 अरब 29 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा, जो पिछले साल की समान अवधि से 35.28 प्रतिशत बढ़ा है।

लंबे समय तक मध्य पूर्व के देश प्रभुत्ववाद और भू-राजनीतिक मुकाबले के शिकार बने रहे हैं। उनको इस क्षेत्र के लिए शांति व विकास बढ़ाने वाली सकारात्मक ऊर्जा की जरूरत है। इस संदर्भ में चीन मध्य पूर्व देशों के लिए एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जाता है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

–आईएएनएस

एएनएम

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बीजिंग, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। 7 से 10 दिसंबर तक चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग सऊदी अरब की राजधानी रियाद में पहली चीन-अरब देश शिखर बैठक, चीन-खाड़ी सहयोग परिषद शिखर बैठक में भाग लेंगे और सऊदी अरब की राजकीय यात्रा करेंगे। यह चीन और अरब देशों के संबंधों में एक मील का पत्थर है, जो चीन-अरब देशों की रणनीतिक साझेदारी का एक नया अध्याय जोड़ेगा।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में वर्तमान में मध्य पूर्व देशों का चीन के साथ करीब आने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, चीन और मध्य पूर्व देश राजनीति में एक दूसरे का सम्मान करते हैं और सहयोग का मजबूत आधार है। चीन कभी भी दूसरे देश के अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप नहीं करता है और हमेशा मध्य पूर्व की जनता का स्वतंत्रता से अपने विकास का रास्ता निकालने का समर्थन करता है। मध्य पूर्व सवाल पर चीन न्यायपूर्ण सिद्धांत पर कायम रहकर शांति और वार्ता बढ़ाने की कोशिश करता है, जो एक विश्वसनीय बड़ा देश है। चीन द्वारा प्रस्तावित बेल्ट एंड रोड पहल मध्य पूर्व देशों के लिए मूल्यवान मौका भी प्रदान करता है। उधर, मध्य पूर्व देश थाईवान, शिनच्यांग व मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर चीन का अटल समर्थन करते हैं।

दूसरा, चीन और मध्यपूर्व देशों के बीच बड़ी आर्थिक पूरकता मौजूद है। दोनों पक्षों के सहयोग का उज्‍जवल भविष्य है। चीन मध्य पूर्व के कई देशों का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। इस साल की पहले तीन तिमाहियों में चीन और अरब देशों का व्यापार 3 खरब 19 अरब 29 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा, जो पिछले साल की समान अवधि से 35.28 प्रतिशत बढ़ा है।

लंबे समय तक मध्य पूर्व के देश प्रभुत्ववाद और भू-राजनीतिक मुकाबले के शिकार बने रहे हैं। उनको इस क्षेत्र के लिए शांति व विकास बढ़ाने वाली सकारात्मक ऊर्जा की जरूरत है। इस संदर्भ में चीन मध्य पूर्व देशों के लिए एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जाता है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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स्थानीय विश्लेषकों के विचार में वर्तमान में मध्य पूर्व देशों का चीन के साथ करीब आने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, चीन और मध्य पूर्व देश राजनीति में एक दूसरे का सम्मान करते हैं और सहयोग का मजबूत आधार है। चीन कभी भी दूसरे देश के अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप नहीं करता है और हमेशा मध्य पूर्व की जनता का स्वतंत्रता से अपने विकास का रास्ता निकालने का समर्थन करता है। मध्य पूर्व सवाल पर चीन न्यायपूर्ण सिद्धांत पर कायम रहकर शांति और वार्ता बढ़ाने की कोशिश करता है, जो एक विश्वसनीय बड़ा देश है। चीन द्वारा प्रस्तावित बेल्ट एंड रोड पहल मध्य पूर्व देशों के लिए मूल्यवान मौका भी प्रदान करता है। उधर, मध्य पूर्व देश थाईवान, शिनच्यांग व मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर चीन का अटल समर्थन करते हैं।

दूसरा, चीन और मध्यपूर्व देशों के बीच बड़ी आर्थिक पूरकता मौजूद है। दोनों पक्षों के सहयोग का उज्‍जवल भविष्य है। चीन मध्य पूर्व के कई देशों का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। इस साल की पहले तीन तिमाहियों में चीन और अरब देशों का व्यापार 3 खरब 19 अरब 29 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा, जो पिछले साल की समान अवधि से 35.28 प्रतिशत बढ़ा है।

लंबे समय तक मध्य पूर्व के देश प्रभुत्ववाद और भू-राजनीतिक मुकाबले के शिकार बने रहे हैं। उनको इस क्षेत्र के लिए शांति व विकास बढ़ाने वाली सकारात्मक ऊर्जा की जरूरत है। इस संदर्भ में चीन मध्य पूर्व देशों के लिए एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जाता है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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स्थानीय विश्लेषकों के विचार में वर्तमान में मध्य पूर्व देशों का चीन के साथ करीब आने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, चीन और मध्य पूर्व देश राजनीति में एक दूसरे का सम्मान करते हैं और सहयोग का मजबूत आधार है। चीन कभी भी दूसरे देश के अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप नहीं करता है और हमेशा मध्य पूर्व की जनता का स्वतंत्रता से अपने विकास का रास्ता निकालने का समर्थन करता है। मध्य पूर्व सवाल पर चीन न्यायपूर्ण सिद्धांत पर कायम रहकर शांति और वार्ता बढ़ाने की कोशिश करता है, जो एक विश्वसनीय बड़ा देश है। चीन द्वारा प्रस्तावित बेल्ट एंड रोड पहल मध्य पूर्व देशों के लिए मूल्यवान मौका भी प्रदान करता है। उधर, मध्य पूर्व देश थाईवान, शिनच्यांग व मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर चीन का अटल समर्थन करते हैं।

दूसरा, चीन और मध्यपूर्व देशों के बीच बड़ी आर्थिक पूरकता मौजूद है। दोनों पक्षों के सहयोग का उज्‍जवल भविष्य है। चीन मध्य पूर्व के कई देशों का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। इस साल की पहले तीन तिमाहियों में चीन और अरब देशों का व्यापार 3 खरब 19 अरब 29 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा, जो पिछले साल की समान अवधि से 35.28 प्रतिशत बढ़ा है।

लंबे समय तक मध्य पूर्व के देश प्रभुत्ववाद और भू-राजनीतिक मुकाबले के शिकार बने रहे हैं। उनको इस क्षेत्र के लिए शांति व विकास बढ़ाने वाली सकारात्मक ऊर्जा की जरूरत है। इस संदर्भ में चीन मध्य पूर्व देशों के लिए एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जाता है।

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स्थानीय विश्लेषकों के विचार में वर्तमान में मध्य पूर्व देशों का चीन के साथ करीब आने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, चीन और मध्य पूर्व देश राजनीति में एक दूसरे का सम्मान करते हैं और सहयोग का मजबूत आधार है। चीन कभी भी दूसरे देश के अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप नहीं करता है और हमेशा मध्य पूर्व की जनता का स्वतंत्रता से अपने विकास का रास्ता निकालने का समर्थन करता है। मध्य पूर्व सवाल पर चीन न्यायपूर्ण सिद्धांत पर कायम रहकर शांति और वार्ता बढ़ाने की कोशिश करता है, जो एक विश्वसनीय बड़ा देश है। चीन द्वारा प्रस्तावित बेल्ट एंड रोड पहल मध्य पूर्व देशों के लिए मूल्यवान मौका भी प्रदान करता है। उधर, मध्य पूर्व देश थाईवान, शिनच्यांग व मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर चीन का अटल समर्थन करते हैं।

दूसरा, चीन और मध्यपूर्व देशों के बीच बड़ी आर्थिक पूरकता मौजूद है। दोनों पक्षों के सहयोग का उज्‍जवल भविष्य है। चीन मध्य पूर्व के कई देशों का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। इस साल की पहले तीन तिमाहियों में चीन और अरब देशों का व्यापार 3 खरब 19 अरब 29 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा, जो पिछले साल की समान अवधि से 35.28 प्रतिशत बढ़ा है।

लंबे समय तक मध्य पूर्व के देश प्रभुत्ववाद और भू-राजनीतिक मुकाबले के शिकार बने रहे हैं। उनको इस क्षेत्र के लिए शांति व विकास बढ़ाने वाली सकारात्मक ऊर्जा की जरूरत है। इस संदर्भ में चीन मध्य पूर्व देशों के लिए एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जाता है।

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दूसरा, चीन और मध्यपूर्व देशों के बीच बड़ी आर्थिक पूरकता मौजूद है। दोनों पक्षों के सहयोग का उज्‍जवल भविष्य है। चीन मध्य पूर्व के कई देशों का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। इस साल की पहले तीन तिमाहियों में चीन और अरब देशों का व्यापार 3 खरब 19 अरब 29 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा, जो पिछले साल की समान अवधि से 35.28 प्रतिशत बढ़ा है।

लंबे समय तक मध्य पूर्व के देश प्रभुत्ववाद और भू-राजनीतिक मुकाबले के शिकार बने रहे हैं। उनको इस क्षेत्र के लिए शांति व विकास बढ़ाने वाली सकारात्मक ऊर्जा की जरूरत है। इस संदर्भ में चीन मध्य पूर्व देशों के लिए एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जाता है।

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