भोपाल, 21 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है। इस बार के चुनाव में पिछले चुनाव से मतदान का प्रतिशत कम रहा। इससे प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है।
मतदान का कम प्रतिशत उनके लिए अबूझ पहेली बना हुआ है। राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं और यहां चार चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में मतदान छह संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, जबलपुर, शहडोल और सीधी में हुआ है। यहां मतदान का प्रतिशत जो सामने आया है वह वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कम है।
राज्य की सबसे चर्चित सीट छिंदवाड़ा में इस बार मतदान 79.83 प्रतिशत हुआ। अगर हम वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव पर गौर करें तो यहां 82.39 और वर्ष 2014 में 79.05 प्रतिशत हुआ था।
वहीं सीधी संसदीय क्षेत्र में इस बार मतदान का प्रतिशत 56.50 रहा है जबकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 69.50 प्रतिशत था। इसके अलावा वर्ष 2014 के यहां मतदान 56.86 प्रतिशत हुआ था।
पहले चरण में शहडोल संसदीय क्षेत्र में हुए मतदान का प्रतिशत 64.68 रहा, जबकि वर्ष 2019 में यहां 74.73 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि यहां वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 62.20 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
जबलपुर संसदीय क्षेत्र में इस बार 61 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मतदान का उपयोग किया, वहीं 2019 में यहां 69.43 प्रतिशत हुआ था। जबकि 2014 में 58.53 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
मंडला संसदीय क्षेत्र में 72.84 प्रतिशत मतदान हुआ, जबिक वर्ष 2019 में 77.76 प्रतिशत मतदान हुआ था। यहां वर्ष 2014 में 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ था।
बालाघाट संसदीय क्षेत्र में इस बार 73.45 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि वर्ष 2019 में यहां 77.61 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले थे। वहीं यहां वर्ष 2014 में 68.21 प्रतिशत मतदान हुआ था।
राज्य में पहले चरण में छह संसदीय क्षेत्र में हुए मतदान में मतदान का प्रतिशत बीते चुनाव के मुकाबले कम रहने पर राजनीतिक दल चिंतित हैं। सभी दल के नेता अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री मुकेश नायक का कहना है कि भाजपा ने जो दल बदल कराया है उससे उनकी पार्टी के अंदर असंतोष है। कम मतदान प्रतिशत का सीधा नुकसान भाजपा को होने वाला है और कांग्रेस पहले चरण में बढ़त हासिल कर रही है।
मुकेश नायक के तर्क पर भाजपा नेता अजय सिंह यादव तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस उम्मीदवार से लेकर नेता तक चुनाव से पहले ही यह मान चुके हैं कि उनकी हार तय है। यह बात पहले चरण के चुनाव प्रचार में भी नजर आई है। कांग्रेस का कार्यकर्ता प्रचार तक के लिए नहीं निकला। मतदान के दिन तो बूथ पर भी कांग्रेस के एजेंट नहीं थे।
वहीं भाजपा का कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी के प्रचार अभियान में जी जान से जुटा रहा। कांग्रेस का कार्यकर्ता तो मतदान करने ही नहीं निकला और मतदान का प्रतिशत कम रहने की वजह भी यही है।
भाजपा का हर बूथ पर 70 फ़ीसदी वोट हासिल करने के साथ पिछले चुनाव के मतदान से 370 वोट बढ़ाने का लक्ष्य है। जो वोट पड़े हैं उसमें 70 फ़ीसदी वोट भाजपा के उम्मीदवार को मिलेंगे।
–आईएएनएस
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