दतिया, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जीत के लिए उम्मीदवार तरह-तरह के दांव खेल रहे हैं। कई उम्मीदवार तो देवी-देवताओं को मनाने में भी पीछे नहीं हैं। दतिया की पीतांबरा पीठ में तो नवरात्रि के मौके पर अनुष्ठान का दौर चला।
दतिया की पीतांबरा पीठ स्थित धूमावती देवी का अनुष्ठान किसी को खुश करने, अपने करीब लाने या दो लोगों में दूरियां बढ़ाने के लिए करते हैं। चुनाव के मौके पर राजनेता अपनी जीत के लिए अनुष्ठान करने में पीछे नहीं रहते और इस बार चुनाव से पहले नवरात्रि है, इसलिए राजनेताओं ने गुप्त तौर पर अनुष्ठान कराए हैं।
पीतांबरा पीठ से जुड़े लोगों का कहना है कि खुले तौर पर तो कोई तांत्रिक अनुष्ठान नहीं करता। मगर, अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए तमाम लोग अनुष्ठान करते हैं। धूमावती ऐसी देवी हैं, जहां किए गए अनुष्ठान में लोगों को सफलता मिलती है।
कहा तो यहां तक जाता है कि 1962 के चीन युद्ध के समय युद्ध विराम के लिए भी यहां अनुष्ठान हुआ था और 1971 में भी भारत-पाक युद्ध के समय अनुष्ठान कराया गया था।
जानकारों की माने तो राजनेता भी दो लोगों के बीच या दो राजनेताओं के बीच दूरी बढ़ाने के लिए यहां अनुष्ठान करते हैं या फिर दो के बीच करीबी बढ़ाने के लिए भी अनुष्ठान कराए जाने की मान्यता है। इसी तरह राजनेता चुनाव जीतने के लिए भी अनुष्ठान करते हैं। यही कारण है कि नवरात्रि पर खास अनुष्ठानों का दौर चला।
–आईएएनएस
एसएनपी/एबीएम
दतिया, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जीत के लिए उम्मीदवार तरह-तरह के दांव खेल रहे हैं। कई उम्मीदवार तो देवी-देवताओं को मनाने में भी पीछे नहीं हैं। दतिया की पीतांबरा पीठ में तो नवरात्रि के मौके पर अनुष्ठान का दौर चला।
दतिया की पीतांबरा पीठ स्थित धूमावती देवी का अनुष्ठान किसी को खुश करने, अपने करीब लाने या दो लोगों में दूरियां बढ़ाने के लिए करते हैं। चुनाव के मौके पर राजनेता अपनी जीत के लिए अनुष्ठान करने में पीछे नहीं रहते और इस बार चुनाव से पहले नवरात्रि है, इसलिए राजनेताओं ने गुप्त तौर पर अनुष्ठान कराए हैं।
पीतांबरा पीठ से जुड़े लोगों का कहना है कि खुले तौर पर तो कोई तांत्रिक अनुष्ठान नहीं करता। मगर, अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए तमाम लोग अनुष्ठान करते हैं। धूमावती ऐसी देवी हैं, जहां किए गए अनुष्ठान में लोगों को सफलता मिलती है।
कहा तो यहां तक जाता है कि 1962 के चीन युद्ध के समय युद्ध विराम के लिए भी यहां अनुष्ठान हुआ था और 1971 में भी भारत-पाक युद्ध के समय अनुष्ठान कराया गया था।
जानकारों की माने तो राजनेता भी दो लोगों के बीच या दो राजनेताओं के बीच दूरी बढ़ाने के लिए यहां अनुष्ठान करते हैं या फिर दो के बीच करीबी बढ़ाने के लिए भी अनुष्ठान कराए जाने की मान्यता है। इसी तरह राजनेता चुनाव जीतने के लिए भी अनुष्ठान करते हैं। यही कारण है कि नवरात्रि पर खास अनुष्ठानों का दौर चला।
–आईएएनएस
एसएनपी/एबीएम