भोपाल, 11 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले दलबदल का खेल जोर पकड़ता जा रहा है। दलबदल करने वालों में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जाने वाले नेताओं की संख्या ज्यादा है। यही बात कांग्रेस के नेताओं को चिंता में डालने वाली है।
राज्य के सियासी हालात पर गौर करें तो कुछ अरसे में भाजपा के कई बड़े नेताओं ने पाला बदला और कांग्रेस का दामन थामा है। इतना ही नहीं कई नेता ऐसे हैं, जो खुले तौर पर पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करने में भी नहीं चूक रहे हैं।
भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने वाले नेताओं की संख्या से कांग्रेस के बड़े नेता गदगद हैं। मगर, दलबदल कर आने वाले जिन नेताओं की ओर से उम्मीदवारी की दावेदारी की जा रही है, वह सियासी गणित को प्रभावित कर सकती है।
भाजपा छोड़कर बड़ी संख्या में कांग्रेस में आ रहे नेताओं को लेकर कांग्रेस की ओर से भी अब यही कहा जा रहा है कि जो व्यक्ति पार्टी ज्वाइन कर रहे हैं, यह जरूरी नहीं है कि उसे विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया ही जाए।
सर्वे और पार्टी की स्थानीय इकाई की सिफारिश के आधार पर ही उम्मीदवारी तय होगी। पार्टी को यह इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि नेताओं को इस बात की आशंका सताने लगी है कि कहीं ऐसा न हो जाए कि दलबदल करके आने वाले ही पार्टी के लिए चुनाव के दौरान मुसीबत बन जाएं।
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जो नेता बीते पांच साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और सक्रिय भी हैं, उनके इलाके से भाजपा नेताओं के पार्टी में आने से मुसीबत बढ़ने की आशंका सताने लगी है।
इसके पीछे कारण भी हैं, क्योंकि भाजपा छोड़कर जो नेता आ रहे हैं वह चुनाव लड़ने को प्राथमिकता दे रहे हैं। वहीं, दलबदल करने वालों को कई नेता गुपचुप तरीके से टिकट दिलाने का भरोसा भी दिला रहे हैं। यह स्थितियां पार्टी के लिए किसी भी सूरत में अच्छी नहीं मानी जा रही है।
–आईएएनएस
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