भोपाल, 19 जुलाई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार पटवारियों (राजस्व अधिकारी) की नियुक्ति में कथित ‘अनियमितताओं’ की जांच कराएगी और जो भी इसमें शामिल पाया जाएगा, उसे दंडित किया जाएगा।
उनका यह बयान ग्रुप 4 पटवारियों की भर्ती परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति की घोषणा के एक हफ्ते बाद आया है।
शिवराज ने कहा, ”पटवारी भर्ती परीक्षा में थोड़ा संदेह हुआ तो मैंने तय किया कि नियुक्ति नहीं होगी, जांच होगी।”
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यदि कोई “अनियमितता” पाई गई तो वह इसमें शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।
शिवराज ने कहा, “अगर कोई गलती पाई जाती है, तो ‘मामा’ (या मामा जैसा कि वह लोकप्रिय रूप से जाना जाता है) दोषियों को सही कर देंगे।”
हालांकि इस मामले को सामने आए एक सप्ताह से अधिक समय हो गया है, क्योंकि यह पाया गया कि दस में से सात टॉपर एक विशेष परीक्षा केंद्र – भाजपा विधायक संजीव कुशवाह के स्वामित्व वाले ग्वालियर स्थित एनआरआई कॉलेज से थे, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार अभी तक इस पर गौर नहीं कर पाई है। स्पष्ट करें कि वास्तव में मामले की जांच कौन कर रहा है?
15 मार्च से 26 अप्रैल के बीच आयोजित परीक्षा में लगभग 14 लाख छात्र उपस्थित हुए और परिणाम 30 जून को घोषित किए गए। मुख्यमंत्री चौहान ने पिछले सप्ताह इंदौर और भोपाल में उम्मीदवारों के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद 9,000 से अधिक चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति की घोषणा की थी।
इस बीच, विभिन्न कोचिंग सेंटरों में दाखिला लेने वाले युवाओं, विशेष रूप से इंदौर और विपक्षी कांग्रेस की युवा शाखा द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, जबकि इनमें से किसी भी परीक्षा में चयनित नहीं होने वाले लोग अपनी आशंकाएं जता रहे हैं और मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (एमपी-ईएसबी) पर घोर अनियमितता का आरोप लगा रहे हैं।
एसईबी मध्य प्रदेश सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय है, जिसे राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के लिए परीक्षा आयोजित करने का काम सौंपा गया है। यह वही संस्था है जो 2013 में सामने आए व्यापमं घोटाले के केंद्र में थी।
–आईएएनएस
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