कोलकाता, 9 फरवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत राज्य सरकार का कुल केंद्रीय बकाया वर्तमान में 7,000 करोड़ रुपये है।
उन्होंने हावड़ा जिले के पंचला में एक प्रशासनिक समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा- मुझे दुख होता है कि केंद्र सरकार हमें इस मामले में वंचित कर रही है। अगर उन्होंने कम से कम कुछ दिया होता, तो मैं इसे स्वीकार करती। मैं एक बार फिर केंद्र सरकार से 100 दिन की नौकरी योजना के तहत भुगतान के लिए धनराशि जारी करने की अपील करती हूं। कृपया गरीब लोगों को उनके वैध देय से वंचित न करें।
मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि मनरेगा योजना के तहत केंद्रीय धन से वंचित होने के बावजूद राज्य सरकार 10 लाख मानव दिवस सृजित करने में सफल रही है, जिसके तहत 10 लाख जॉब-कार्ड धारकों को रोजगार प्रदान किया गया है। आवास योजना के संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस योजना का पूरा श्रेय लेना चाहती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारों दोनों का योगदान है।
बनर्जी ने यह भी कहा कि केंद्रीय फंड जारी करने में केंद्र सरकार की अनिच्छा के बावजूद, राज्य सरकार राज्य में ग्रामीण सड़क नेटवर्क के विकास के लिए अपनी परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, हमने इस संबंध में 2,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक योजना तैयार की है। आप में से कई लोगों की बैंकों में जमा राशि है। इन जमाओं की सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं है।
उन्होंने उद्योगपति गौतम अडानी का नाम लिए बिना केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा कि यह अनिश्चित है कि भारतीय जीवन बीमा निगम में लोगों की गाढ़ी कमाई का बड़ा नुकसान हो रहा है। लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या उन्हें एलआईसी में निवेश किया गया पैसा वापस मिलेगा, क्योंकि वह पैसा उद्योगपतियों के एक वर्ग के खाते में जा रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चूंकि भाजपा राजनीतिक रूप से तृणमूल कांग्रेस का मुकाबला करने में असमर्थ है, इसलिए वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग कर रही हैं।
–आईएएनएस
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