भोपाल, 5 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए बागी मुसीबत बन गए हैं। इन बागियों का असर चुनावी नतीजे पर पड़ने की आशंका दोनों दलों को सता रही है। दोनों ही राजनीतिक दलों ने अब इन बागियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है।
राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर 17 नवंबर को मतदान होने वाला है और चुनाव प्रचार अभियान जोरों पर है। नाम वापसी की तारीख निकल चुकी है और उसके बाद भी बड़ी संख्या में बागी मैदान में हैं।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक दल ऐसे हैं जिनके लिए लगभग 50 सीटों पर बागी या भीतरघाती मुसीबत का कारण बने हुए हैं। दोनों राजनीतिक दल पहले तो इन्हें मनाने में जुटे रहे और जब वे नहीं माने तो पार्टी ने निष्कासन का रास्ता चुना है।
दोनों ही राजनीतिक दलों द्वारा अपने बागी और भीतरघातियों पर की गई कार्रवाई पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि दोनों ही राजनीतिक दल परेशान हैं और यह बागी उनकी जीत के रास्ते में रोडा बन सकते हैं।
कांग्रेस ने 39 नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया है इसी तरह बीजेपी ने भी 35 नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सभी छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किए गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के विधानसभा चुनाव कड़ी टक्कर वाले हैं और कई नेताओं को लगता है कि इस बार के चुनाव उनकी राजनीतिक हैसियत को बदल सकते हैं। यही कारण रहा कि पहले उन्होंने अपने-अपने दलों से उम्मीदवार बनने की कोशिश की और जब असफल रहे तो उन्होंने सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी से टिकट पा लिया। इतना ही नहीं, कई ऐसे नेता है जिन्होंने दूसरे दल का दामन थामने के बजाय निर्दलीय चुनाव मैदान में जोर लगाया है।
–आईएएनएस
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