जबलपुर. मप्र राज्य उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन अशोक तिवारी की सेवानिवृत्ति पर हाईकोर्ट की तरफ से लगाई गयी रोक को हटाने की मांग करते हुए सरकार की तरफ से आवेदन पेश किया गया. हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने आवेदन पर याचिकाकर्ता को जवाब पेश करने के निर्देश जारी किये है. युगलपीठ ने जनहित याचिका में दायर अवमानना आवेदन पर अगली सुनवाई के निर्देश दिये है.
गौरतलब है कि रोहित दुबे की तरफ से दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट में आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में याचिका विचाराधीन है. इसी बीच प्रदेश के फोरम और जिलो में गठित आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है या फिर होने वाला है. बिहार, केरल, उत्तर प्रदेश में भी राज्य व जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों का कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका को देखते हुए अंतरिम रूप से बढ़ा दिया गया है.
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जिला आयोग में हजारों की संख्या में मामले लंबित हैं. आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया तो सरकार चाहकर भी नई नियुक्ति नहीं कर पाएगी. ऐसे में नए प्रकरण दायर होते चले जाएंगे और पुराने प्रकरणों की सुनवाई भी नहीं हो पाएगी. हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य व जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष व सदस्य फिलहाल अपने पदों पर बने रहेंगे के आदेश जारी किये थे.
हाईकोर्ट के उक्त आदेश तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बावजूद भी मध्य प्रदेश राज्य उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन से हटाये जाने को चुनौती देते हुए अशोक तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि 65 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट और मुंबई हाईकोर्ट के न्याय दृष्टांत के अनुसार आयोग के चेयरमैन व सदस्यों का कार्यकाल 67 वर्ष होना चाहिए.
इसलिए याचिकाकर्ता को पद से हटाना न केवल मनमाना है, बल्कि पहले से असंवैधानिक घोषित किए गए नियम-2020 का उल्लंघन भी है. याचिकाकर्ता के स्थान पर अपेक्षाकृत कनिष्ठ को आयोग का प्रभारी बना दिया गया. एकलपीठ ने सरकार की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.
हाईकोर्ट का आदेश पालन नहीं करते हुए मध्य प्रदेश राज्य उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन को हटाये जाने के खिलाफ अवमानना आवेदन दायर किया गया था. जिसके बाद युगलपीठ ने दोनों याचिकाओं की संयुक्त रूप से सुनवाई करने के आदेश जारी किये थे. दोनों याचिकाओं पर युगलपीठ द्वारा सोमवार को संयुक्त रूप से सुनवाई की गयी.
सरकार की तरफ से एकलपीठ द्वारा लगाई गयी रोक हटाने के लिए आवेदन पेश किया गया. जिस पर सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये. दोनों याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा तथा अधिवक्ता अमिताव गुप्ता ने पैरवी की.