बुलढाणा, 7 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण, ओबीसी आंदोलन और दलित नेताओं के सम्मान जैसे मुद्दों पर राजनीति तेज हो गई है। नेता आरक्षण मुद्दे को लेकर जनता को अपनी ओर करने में जुट गए हैं।
केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष रामदास आठवले ने कहा कि ओबीसी समुदाय को पहले ही कम आरक्षण मिला है और सुप्रीम कोर्ट के 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा के कारण अब और आरक्षण देना संभव नहीं है।
जब बीपी सिंह के समय मंडल आयोग की सिफारिशों में संशोधन किया गया था और उसके बाद ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला हुआ तो हमारी भूमिका शुरू से ही मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने की रही है।
उन्होंने कहा, “ऐसा करते समय ओबीसी पर कोई अन्याय न हो, इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने राज्य का 10 प्रतिशत आरक्षण मराठा समुदाय को दिया है और वह मराठा समुदाय पर भी लागू होता है। मनोज जरांगे पाटिल की हैदराबाद गैजेट की मांग को देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने मान लिया है, जिससे कुणबी रिकॉर्ड वाले मराठा समुदाय को ही लाभ होगा।”
रामदास आठवले ने आगे कहा कि कुछ लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि उन्होंने सीएम देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ कुछ कहा है। उन्होंने इन अफवाहों का खंडन करते हुए कहा कि फडणवीस ने लंदन में बाबासाहेब आंबेडकर से जुड़ी चीजों को वापस लाने और मुंबई में भव्य इंदु मिल स्मारक के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है।
इसके साथ उन्होंने मांग की कि अन्नाभाऊ साठे का एक भव्य स्मारक बनाया जाए, जिसके लिए सरकार चार-पांच करोड़ रुपए का फंड दे। वे मुख्यमंत्री से बात करेंगे ताकि अन्नाभाऊ साठे को जल्द से जल्द भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
दशहरा सभा में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की अटकलों पर आठवले ने कहा, “अगर दोनों भाई एक साथ भी आते हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। मुंबई में महायुति (महागठबंधन) अभी भी मजबूत है और वे मुंबई महानगरपालिका चुनाव जीतकर रहेंगे।
उन्होंने कहा कि मुंबई में 40 प्रतिशत मराठा और 60 प्रतिशत गैर-मराठी समुदाय हैं और इन सभी का समर्थन महायुति को मिलेगा। 70 सालों में कई मराठी मुख्यमंत्री हुए, लेकिन किसी ने भी मराठा आरक्षण का फैसला नहीं लिया। यह फैसला देवेंद्र फडणवीस ने लिया, इसलिए उन्हें इसका श्रेय मिलना चाहिए।
–आईएएनएस
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