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Home Today's Special News

मवेशी घोटाला : कलकत्ता हाईकोर्ट ने अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका खारिज की

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January 4, 2023
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मवेशी घोटाला : कलकत्ता हाईकोर्ट ने अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका खारिज की
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कोलकाता, 4 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका खारिज कर दी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

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मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

–आईएएनएस

केसी/एसकेपी

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कोलकाता, 4 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका खारिज कर दी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

–आईएएनएस

केसी/एसकेपी

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कोलकाता, 4 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका खारिज कर दी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कोलकाता, 4 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका खारिज कर दी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 4 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका खारिज कर दी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

–आईएएनएस

केसी/एसकेपी

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कोलकाता, 4 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका खारिज कर दी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कोलकाता, 4 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका खारिज कर दी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

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दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी। हालांकि, खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बुधवार यानी आज फैसला सुनाया। दरअसल, मंडल ने मवेशी तस्करी मामले के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं थी। एक जमानत याचिका थी और दूसरी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल जज बेंच ईडी की एफआईआर से जुड़ी याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है और बुधवार को डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके प्रभावशाली होने के आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची की दो टिप्पणियों से खंडपीठ ने प्रभावशाली सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है।

पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है और इसलिए उन्हें इस समय जमानत देना उचित नहीं होगा।

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पहला जिक्र मंडल के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के ताजा मामले से संबंधित था, जो कथित रूप से एक साल पहले हुआ था। 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वारंट में ईडी को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में अनुब्रत मंडल को राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए नई दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई थी। हल्के-फुल्के अंदाज में न्यायमूर्ति बागची ने मंडल के वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि यह स्पष्ट है कि सिब्बल का मुवक्किल कितना प्रभावशाली है, राज्य और केंद्रीय दोनों एजेंसियां उसके बारे में उत्सुक हैं।

दूसरी बात, न्यायमूर्ति बागची ने पिछले साल मार्च में हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई रहस्यमय मौत के मामले में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया, जहां पशु तस्करी में जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी का नाम था, जिनका बोगतुई जांच से कोई संबंध नहीं था।

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