प्रयागराज, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। आस्था की नगरी संगम नगरी प्रयागराज में 2025 महाकुंभ की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ के दौरान अखाड़ों का विशेष महत्व होता है। जिसमें साधु-संतों के कुल 13 अखाड़ों द्वारा भाग लिया जाता है। प्राचीन काल से ही इन अखाड़ों की स्नान पर्व की परंपरा चली आ रही है। उन्हीं अखाड़ों में से एक श्रीपंचाग्नि अखाड़ा है। श्रीपंचाग्नि अखाड़ा के महंत सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी ने अखाड़े की परंपरा और पहचान के बारे में जानकारी देते हुए आईएएनएस से विशेष बातचीत की।
सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी ने बताया, “हमारे अखाड़े को श्रीपंचाग्नि अखाड़ा और श्री शंभू पंचाग्नि अखाड़ा भी कहते हैं। जब कुंभ प्रयागराज में लगता है तो सारे लोग एकत्र हो जाते हैं। जिस दिन हम लोगों का नगर प्रवेश होता है तो खिचड़ी बनती है। इस अर्थ है कि हम सब एक समाहित हैं, खिचड़ी की तरह हम सब लोग मिलकर रहें, यह एक संदेश है। श्रीपंचाग्नि अखाड़े की परंपरा के अनुसार वेद माता गायत्री हमारी श्रीदेवी माता है और भगवान शिव के हम लोग उपासक हैं।”
सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि संपूर्ण विश्व में 13 अखाड़े होते हैं, जिनमें यह ब्रह्मचारियों का एक ही अग्नि अखाड़ा है। शैव संप्रदाय के सात अखाड़े हैं, जिनमें छह अखाड़े नागा संन्यासियों के हैं। सातवां अखाड़ा हमारा ब्रह्मचारियों का है। हम चतुर्नाम्ना ब्रह्मचारी होते हैं। इस अखाड़े में वेद माता गायत्री का हवन, पूजन, यज्ञ करना, संध्या करना, यज्ञोपवीत संस्कार होना, यह हम लोगों की दिनचर्या है। यह हमारी परंपराएं हैं। यहां हमारी धर्म ध्वजा स्थापित हो चुकी है। हमारे श्रीपंचाग्नि अखाड़ा के अध्यक्ष मुक्तानंद जी महाराज गुजरात से हैं। सनातन धर्म और संस्कृति के लिए सर्वस्व न्योछावर करने का भाव लिए इस अखाड़े के हजारों ब्रह्मचारी जप-तप में लीन रहते है। अखाड़ा सदियों पहले बनी परंपरा का आज भी ईमानदारी से निर्वहन करता है।
उल्लेखनीय है कि आदिशंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए चार पीठ स्थापित किया थे। श्रीपंचाग्नि अखाड़े की स्थापना विक्रम संवत् 1992 अषाढ़ शुक्ला एकादशी सन् 1136 में हुई। अखाड़े का प्रधान केंद्र काशी है। इनके सदस्यों में चारों पीठ के शंकराचार्य, ब्रह्मचारी, साधु व महामंडलेश्वर शामिल हैं। परंपरानुसार इनकी शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन व त्र्यंबकेश्वर में हैं।
प्रयागराज में कुंभ के महत्व पर बात करते हुए महंत सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि प्रयागराज स्वयं तीर्थराज है और दूसरी बात यह है कि यह उस जगह में भी शामिल है जहां अमृत की बूंदे गिरी थी। उस जगह के महत्व के कारण जब यहां सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो उस समय मकर संक्रांति पर्व पर हमारा स्नान बनता है। ऐसे ही उज्जैन, त्रंबकेश्वर और हरिद्वार में भी कुंभ होता है। तो यह हमारी वेदों और शास्त्रों की गणना है, उसके अनुसार हमारे अक्षांश और रेखांश के ऊपर तिथि पर योग के अनुसार कुंभ पड़ता है। प्रयागराज में एक अर्धकुंभ भी छह साल में होता है और पूर्णकुंभ भी होता है।
सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी ने कुंभ के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में स्नान से पाप धुल जाते हैं। मां गंगा के दर्शन मात्र से मुक्ति प्राप्त हो सकती है। दूर दराज से आए करोड़ों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर अपने आपको धन्य मानते हैं। लाखों संत महात्मा कुंभ के दौरान यहां निवास करते हैं, जिनकी पेशवाइयां निकलती हैं, शोभा यात्राएं निकलती हैं, उसके बाद में जब स्नान के लिए शाही जुलूस निकलता है, तब महात्माओं की चरण रज प्राप्त करने के लिए तमाम भक्त उपस्थित होते हैं। बड़े भाव से वह गंगा में डुबकी लगाते हैं। इससे उनका जीवन धन्य होता है, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
‘महाकुंभ’ के अर्थ पर उन्होंने कहा कि यह बारह साल में पड़ता है। पूर्णकुंभ को महाकुंभ कहते हैं। ‘महा’ शब्द की स्थिति अति, आनंद, महान जैसी है, जैसे शिव महादेव हैं। ऐसे ही महाकुंभ का ओर-छोर नहीं है। इसमें सब कुछ समाहित है। तीर्थराज प्रयाग में सब कुछ समाहित है। यहां अनेक देवी देवता हैं। गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम है।
सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी ने सरकार की व्यवस्थाओं पर भी संतुष्टि जताई और कहा कि इस बार की व्यवस्था पिछली बार से भी अच्छी है। समय के साथ साथ व्यवस्था बदलती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार भ्रमण किया है और अखाड़ों के साधु-संतों से मिले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में उन्होंने सभी संत महात्माओं और अखाड़ों के प्रतिनिधियों का निष्ठा, भाव, श्रद्धा से अभिवादन किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। जितने छोटे-छोटे देशों की जनसंख्या होती है उतना हम कुंभ में एक शहर बसा देते हैं। कुंभ का एक अलग ही जिला हो गया है। यह उपलब्धियां हैं और हम प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी को साधुवाद देते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
महंत ने अपने अखाड़े की परंपराओं का भी जिक्र किया और बताया कि श्रीपंचाग्नि अखाड़े में कई महामंडलेश्वर और संत महात्मा आएंगे। वे 26 दिसंबर को विशाल शोभायात्रा का आयोजन करेंगे, जो अनंत माधव मंदिर से शुरू होगी और गाजे-बाजे के साथ अखाड़े तक पहुंचेगी। इस दिन से वेद माता गायत्री के पूजन और अनुष्ठान की शुरुआत होगी।
–आईएएनएस
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