नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि किसी भी समाज में महिलाओं की स्थिति समाज के विकास का एक महत्वपूर्ण मापदंड है। यह शिक्षकों और अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को इस तरह शिक्षित करें कि वे हमेशा महिलाओं की गरिमा के अनुरूप व्यवहार करें।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं का सम्मान केवल ‘शब्दों’ में नहीं, बल्कि ‘व्यवहार’ में भी होना चाहिए। राष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस के अवसर पर गुरुवार को देशभर के कई शिक्षकों को सम्मानित करते हुए यह बातें कहीं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षा के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को विज्ञान भवन में ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024’ से सम्मानित किया। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों को ऐसे नागरिक तैयार करने होंगे, जो न केवल शिक्षित हों, बल्कि संवेदनशील, ईमानदार और उद्यमशील भी हों। जीवन में आगे बढ़ना सफलता है, लेकिन जीवन की सार्थकता दूसरों के कल्याण के लिए काम करने में है। हमें दया भाव रखना चाहिए। हमारा आचरण नैतिक होना चाहिए। सार्थक जीवन में ही सफल जीवन निहित है।
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी शिक्षा प्रणाली की सफलता में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पढ़ाना सिर्फ एक नौकरी नहीं है, यह मानव विकास का एक पवित्र मिशन है। अगर कोई बच्चा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है, तो शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की बड़ी जिम्मेदारी बनती है। अक्सर शिक्षक उन्हीं विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान देते हैं, जो परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। हालांकि, उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन उत्कृष्टता का केवल एक आयाम है। एक बच्चा बहुत अच्छा खिलाड़ी हो सकता है। कुछ बच्चों में नेतृत्व कौशल हो सकता है। दूसरा बच्चा उत्साहपूर्वक सामाजिक कल्याण गतिविधियों में भाग ले सकता है। शिक्षक को प्रत्येक बच्चे की नैसर्गिक प्रतिभा को पहचान कर उसे सामने लाना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के अनुसार, यदि कोई शिक्षक स्वयं निरंतर ज्ञान अर्जित नहीं करता है, तो वह सही अर्थों में पढ़ा नहीं सकता है।
‘शिक्षक पुरस्कार 2024’ के लिए इस बार उच्च शैक्षिक संस्थानों और पॉलिटेक्निक के शिक्षकों का भी चयन किया गया था। पहले यह पुरस्कार केवल स्कूल शिक्षकों तक ही सीमित थे।
–आईएएनएस
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