नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
एकेजे
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
एकेजे
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
एकेजे
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
एकेजे
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन शुक्रवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्रई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की पैरवी से हट गए। मोइत्रा ने उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने की बात कहते हुये मुकदमा दायर किया है।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए देहाद्राई ने अदालत को सूचित किया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात उनसे संपर्क किया और प्रस्ताव दिया कि वह कुत्ते हेनरी की कस्टडी के बदले में अपनी सीबीआई शिकायत वापस ले लें।
हेनरी देहाद्राई और मोइत्रा के बीच विवाद का विषय बन गया है, दोनों ने एक-दूसरे पर कुता “चोरी” करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
देहाद्राई ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा कि कुछ बहुत परेशान करने वाली बात है।
उन्होंने कहा, “हितों का बहुत गंभीर टकराव है। उन्होंने (शंकरनारायणन ने) मुझसे 30 मिनट तक बात की। उन्होंने मुझसे कुत्ते के बदले में सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा। वह इस मामले में पेश नहीं हो सकते।”
न्यायमूर्ति ने तब कहा: “मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे उच्चतम पेशेवर मानक बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।”
शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मोइत्रा की सहमति से देहाद्राई से संपर्क किया था, और केवल इसलिए क्योंकि देहाद्राई ने पहले उन्हें निर्देश दिया था।
हालाँकि, न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा, “आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या आप फिर भी इस मामले में पेश होने के पात्र हैं?”
इन तर्कों के आलोक में, शंकरनारायणन मामले से हट गए। अब मामला 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए हैं।
मानहानि का मुकदमा मोइत्रा द्वारा दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया आउटलेट्स को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, “पृष्ठभूमि के अनुसार, यह कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 2 (देहाद्राई) वादी का करीबी दोस्त था। हाल ही में दोस्ती में दरार आने के बाद उसने जल्द ही एक कटु मोड़ ले लिया। प्रतिवादी नंबर 2 ने वादी को भद्दे, धमकी भरे, अश्लील संदेश भेजे और वादी के आधिकारिक आवास पर भी अतिक्रमण किया और वादी की कुछ निजी संपत्ति चुरा ली।”
मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया था।
“उपरोक्त के बावजूद, प्रतिवादी नंबर-2 ने वादी के खिलाफ हानिकारक कहानियां चलाने के लिए विश्वसनीय पत्रकार से संपर्क करके उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और बदनाम करने का फैसला किया। हालांकि, उन पत्रकारों में से कोई भी उसके दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधी डिजाइनों में भाग लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।
मोइत्रा का मानहानि मुकदमा शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि दुबे ने तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निहित झूठे और अपमानजनक आरोपों को दोहराया। इसमें आगे दावा किया गया कि दुबे और देहाद्राई दोनों अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मोइत्रा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक या उपहार कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसमें संसद में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न भी शामिल हैं। मोइत्रा और निजी व्यक्तियों द्वारा उठाए गए सवालों के बीच कथित संबंधों के बारे में कानूनी नोटिस में इन दावों को “हास्यास्पद” बताते हुये खारिज कर दिया।