नई दिल्ली, 19 मई (आईएएनएस)। एक्टर प्रतीक बब्बर ने अपनी दिवंगत मां स्मिता पाटिल को याद करते हुए कहा कि वह एक शानदार एक्ट्रेस थीं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था।
प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
उन्होंने कहा, “उनका परफॉर्मेंस केवल एक्टिंग तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके द्वारा निभाए गए किरदार के जीवन को जीने के बारे में था। अपनी कला के प्रति उनकी ईमानदारी और समर्पण आज भी दर्शकों के बीच गूंजती है।”
एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
–आईएएनएस
पीके/एकेजे
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नई दिल्ली, 19 मई (आईएएनएस)। एक्टर प्रतीक बब्बर ने अपनी दिवंगत मां स्मिता पाटिल को याद करते हुए कहा कि वह एक शानदार एक्ट्रेस थीं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था।
प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
उन्होंने कहा, “उनका परफॉर्मेंस केवल एक्टिंग तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके द्वारा निभाए गए किरदार के जीवन को जीने के बारे में था। अपनी कला के प्रति उनकी ईमानदारी और समर्पण आज भी दर्शकों के बीच गूंजती है।”
एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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नई दिल्ली, 19 मई (आईएएनएस)। एक्टर प्रतीक बब्बर ने अपनी दिवंगत मां स्मिता पाटिल को याद करते हुए कहा कि वह एक शानदार एक्ट्रेस थीं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था।
प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
उन्होंने कहा, “उनका परफॉर्मेंस केवल एक्टिंग तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके द्वारा निभाए गए किरदार के जीवन को जीने के बारे में था। अपनी कला के प्रति उनकी ईमानदारी और समर्पण आज भी दर्शकों के बीच गूंजती है।”
एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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नई दिल्ली, 19 मई (आईएएनएस)। एक्टर प्रतीक बब्बर ने अपनी दिवंगत मां स्मिता पाटिल को याद करते हुए कहा कि वह एक शानदार एक्ट्रेस थीं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था।
प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
उन्होंने कहा, “उनका परफॉर्मेंस केवल एक्टिंग तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके द्वारा निभाए गए किरदार के जीवन को जीने के बारे में था। अपनी कला के प्रति उनकी ईमानदारी और समर्पण आज भी दर्शकों के बीच गूंजती है।”
एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
उन्होंने कहा, “उनका परफॉर्मेंस केवल एक्टिंग तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके द्वारा निभाए गए किरदार के जीवन को जीने के बारे में था। अपनी कला के प्रति उनकी ईमानदारी और समर्पण आज भी दर्शकों के बीच गूंजती है।”
एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
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प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
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एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
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एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
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प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
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एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
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एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
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37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
उन्होंने कहा, “उनका परफॉर्मेंस केवल एक्टिंग तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके द्वारा निभाए गए किरदार के जीवन को जीने के बारे में था। अपनी कला के प्रति उनकी ईमानदारी और समर्पण आज भी दर्शकों के बीच गूंजती है।”
एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
उन्होंने कहा, “उनका परफॉर्मेंस केवल एक्टिंग तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके द्वारा निभाए गए किरदार के जीवन को जीने के बारे में था। अपनी कला के प्रति उनकी ईमानदारी और समर्पण आज भी दर्शकों के बीच गूंजती है।”
एक्टर ने कहा, ”दुर्भाग्य से मुझे कभी उनसे मिलने और उनका जादू देखने का मौका नहीं मिला।”
प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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प्रतीक ने कहा, ”उन्होंने अपने जीवन में जो आर्ट तैयार किया, उनके माध्यम से ही मैं उन्हें महसूस कर पा रहा हूं। उनके पास दूसरों की आंखों से दुनिया को देखने का एक अद्भुत तरीका था, जो उनके परफॉरमेंस और उनके जीवन में साफ झलकता था।”
37 वर्षीय एक्टर ने 17 मई को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी मां द्वारा अभिनित श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ का प्रतिनिधित्व किया था।
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प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, ”मेरी मां में अपने किरदार के प्रति गहराई से भावनात्मक रूप से जुड़ने की क्षमता थी। वह अपनी हर भूमिका में प्रामाणिकता लेकर आईं।”
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