मुंबई, 25 मार्च (आईएएनएस)। आईआईटी-बंबई में पिछले महीने कथित रूप से अपना जीवन समाप्त करने वाले दर्शन सोलंकी के माता-पिता ने शनिवार को आंतरिक जांच समिति की अंतरिम रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि संस्था अपने ही मामले में जज नहीं हो सकती है।
दर्शन के पिता रमेश सोलंकी ने शुक्रवार को आईआईटी-बंबई के निदेशक प्रोफेसर सुभासिस चौधरी को संबोधित 3 पेज के एक पत्र में प्रोफेसर नंद किशोर की अध्यक्षता वाले 12 सदस्यीय पैनल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया और इसे झूठा और अमानवीय करार दिया।
18 वर्षीय दर्शन का शव 12 फरवरी को आईआईटी-बंबई पवई कैंपस में उनके छात्रावास भवन के पास पाए जाने के तुरंत बाद गठित समिति ने किसी भी जातिगत भेदभाव से इंकार किया और तर्क दिया था कि विभिन्न विषयों में उनके शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट आई थी। अहमदाबाद के रहने वाले रमेश सोलंकी ने कहा कि समिति में आईआईटी-बंबई के बाहर का कोई सदस्य नहीं है, यह पक्षपातपूर्ण है और उनके बेटे की मौत के मामले में सच्चाई को सामने लाने के बजाय संस्था का चेहरा बचाने के लिए गठित किया गया था।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सोलंकी परिवार के बयानों को लिखित रूप में नहीं लिया गया है और अपनी सुविधा के अनुसार अंतरिम रिपोर्ट तैयार की गई है, जिससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का खंडन हो रहा है, और इसलिए मांग की कि मामले को किसी अन्य राज्य या केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया जाए। पिछले हफ्ते, रमेश सोलंकी ने दर्शन सोलंकी के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर मुंबई पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी, विशेष जांच दल पहले से ही इस मामले की स्वतंत्र रूप से जांच कर रहा है।
इसके बाद 21 मार्च को, छात्र संघों- अम्बेडकर फुले पेरियार सर्किल-आईआईटीबी, अम्बेडकरवादीछात्र सामूहिक-आईआईटीबी और आईआईटीबी के संबंधित पूर्व छात्रों ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र भेजा, जिसमें उनसे रमेश सोलंकी की याचिका के आधार पर मुंबई पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम