नई दिल्ली, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। हाल के वर्षों में डार्क वेब मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों का केंद्र बन गया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि दिल्ली डार्क वेब सिंडिकेट के लिए एक हॉटस्पॉट के रूप में उभर रही है।
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में कई आपराधिक समूह अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये समूह गुमनाम लेनदेन करने के लिए बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग कर रहे हैं, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो गया है।
इन सिंडिकेट द्वारा की जा रही कुछ सबसे आम अवैध गतिविधियों में मादक पदार्थों की तस्करी, हथियारों की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल हैं।
क्रेडिट कार्ड के विवरण और व्यक्तिगत जानकारी सहित चोरी किए गए डेटा को बेचने के लिए भी डार्क वेब का उपयोग किया जा रहा है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, इस बढ़ती प्रवृत्ति का मुकाबला करने के लिए दिल्ली पुलिस ने डार्क वेब सिंडिकेट की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए साइबर सेल की एक विशेष टीम का गठन किया है। टीम अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ काम कर रही है, ताकि इन अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों को ट्रैक किया जा सके और उन्हें पकड़ा जा सके।
उन्होंने कहा, हाल के महीनों में पुलिस ने डार्क वेब सिंडिकेट के खिलाफ कई सफल ऑपरेशन भी किए हैं। एक ऑपरेशन में, वे ऐसे व्यक्तियों के एक समूह को गिरफ्तार करने में सक्षम हुए, जो डार्क वेब पर ड्रग्स बेचने में शामिल थे। पुलिस ने बड़ी मात्रा में जब्ती की । छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में मादक पदार्थ और अन्य अवैध सामान बरामद किया गया।
पिछले साल सितंबर में दिल्ली पुलिस ने आईआईएम ड्रॉपआउट, बीबीए छात्र और एक फैशन डिजाइनर सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया था, जो विदेशों से एलएसडी, एमडीएमए और मारिजुआना जैसी रासायनिक दवाओं की सोसिर्ंग करते थे, ताकि कॉलेज को कूरियर सेवाओं के माध्यम से आपूर्ति की जा सके।
एलएसडी के 28 ब्लॉटिंग पेपर, एमडीएमए के 12.6 ग्राम, क्यूरेटेड मारिजुआना के 84 ग्राम और हशीश के 220 ग्राम की बरामदगी के बाद पुलिस ने गुप्त सूचना के बाद गिरफ्तारियां कीं।
इतना ही नहीं, डार्क वेब का इस्तेमाल गिरोह और सिंडिकेट द्वारा हैश, अफीम, चरस, अफीम युक्त आयुर्वेदिक गोलियां जैसे कामिनी विद्रावन रास और बरसासा सहित अन्य दवाओं को पश्चिमी देशों में भेजने के लिए किया जाता है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कार्यप्रणाली के बारे में बताते हुए कहा कि ये डार्क वेब सिंडिकेट टीओआर का उपयोग करते हैं।
अधिकारी ने कहा, वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिए डीलरों से संपर्क करने के बाद लेनदेन आमतौर पर क्रिप्टोकरेंसी के जरिए किए जाते हैं।
एक डार्क नेट यूजर ने आईएएनएस को बताया कि इन दिनों टीओआर पर प्याज डोमेन जो अन्य की तरह उपयोगकर्ता को पंजीकृत नहीं करता, ड्रग ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल हो रहा है।
उन्होंने कहा, प्याज का यूआरएल दर्ज करते समय, उसकी वेबसाइट को होस्ट करने के लिए एक हैश कुंजी उत्पन्न होती है। फिर संबंधित वेबसाइट का यूआरएल दर्ज किया जाता है और खरीदार और विक्रेता के बीच एक नेटवर्क स्थापित किया जाता है। डार्क वेब पर कुछ सर्च इंजनों पर भी, ब्लॉग, वेबसाइट और वेबसाइट के यूआरएल को व्हाट्सएप ग्रुप, टेलीग्राम आदि के माध्यम से साझा किया जाता है।
सिंडिकेट ग्राहकों को उन विज्ञापनों से लुभाता है, जो एक रेस्तरां मेनू से मिलते जुलते हैं और उन्हें बातचीत के लिए इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, स्काइप पर दिखाते हैं।
दिल्ली में डार्क वेब सिंडिकेट का उदय एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। डार्क वेब की गुमनामी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों को ट्रैक करना मुश्किल बना देती है, और क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग से लेन-देन का पता लगाना और भी कठिन हो जाता है।
–आईएएनएस
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