नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
–आईएएनएस
एसजीके
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
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लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
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लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
–आईएएनएस
एसजीके
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
8 दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लालदुहोमा की यह राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा थी।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मूल और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के लिए इन राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों के बसने की जांच करना है।
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मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे पर चर्चा की।
फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को गिराने और तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमार से पहली आमद शुरू हुई।
तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
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नई दिल्ली/आइजोल, 4 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और म्यांमार शरणार्थी मुद्दे सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि म्यांमार के साथ वर्तमान सीमा को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लोगों की पूर्व सहमति के बिना दो जातीय समूहों पर थोप दिया था और यह अभी भी सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोगों की इच्छा एक प्रशासन के तहत आने की थी और मिज़ोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि मिज़ो लोगों के भाइयों और बहनों के रूप में व्यवहार किया जाता था।
म्यांमार के शरणार्थी चिन-ज़ो जनजाति से संबंधित हैं और उनके मिज़ोरम के मिज़ोस के साथ समान जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘अखंड भारत’ के हिस्से के रूप में ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की भी इच्छा जताई।
लालदुहोमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की बेहतर और एकसमान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की सलाह दी।
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी अब मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
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भूमि, नौकरियों और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्वदेशी लोगों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
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तब से महिलाओं और बच्चों सहित 32,000 से अधिक लोगों ने म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।
लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय सिविल सेवा में जयशंकर के बैचमेट (1977) हैं।
उनसे मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर कहा, ”मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा जी से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने एक ही समय में सरकारी सेवा शुरू की और एक साथ प्रशिक्षण लिया। चर्चा की गई कि कैसे विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार अधिक निकटता से सहयोग कर सकते हैं।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ भी बैठक की और राज्य में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
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