नई दिल्ली, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)। हाल ही में बढ़ते खसरे के मामले देश के लिए चिंता का विषय है। भारत ने 2017 से 2020 के बीच इसके उन्मूलन में उल्लेखनीय प्रगति की है। महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और झारखंड में पिछले महीने खसरे के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है।
देश ने खसरा और रूबेला उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना बनाई है। एमआर (खसरा-रूबेला) टीकाकरण अभियान के तहत 2017 और 2020 के बीच 324 मिलियन से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया है। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत ने एमआर के उन्मूलन में उल्लेखनीय प्रगति की।
मामले में आई वृद्धि पर आईसीएमआर और राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक तरुण भटनागर ने कहा, खसरे का प्रकोप आमतौर पर उन जगहों पर देखा गया है जहां नियमित टीकाकरण कवरेज कम रहा है। कोविड के समय लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करना भी इस वृद्धि का एक कारण है।
आईसीएमआर के वैज्ञानिक ने आईएएनएस को बताया, कोविड के समय टीकाकरण को लेकर समस्याएं थीं, कुछ बच्चे कोविड संबंधी सेवा में व्यवधान के कारण टीके से चूक गए होंगे, या हो सकता है कि उन्हें टीका नहीं मिला हो।
इस सवाल पर कि क्या खसरा भारत में लौट रहा है, भटनागर ने कहा, मुझे नहीं लगता कि खसरे की वापसी या वायरस में उत्परिवर्तन में कोई बदलाव के साथ कोई विशेष मुद्दा है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर यह टीकाकरण कवरेज का मुद्दा है।
भटनागर ने कहा कि महामारी के बाद के युग में वायरस के किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में कुछ भी नहीं रहा है। ऐसा नहीं है कि यह कोविड के कारण हुआ है, यह कोविड से पहले भी मौजूद था। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान उछाल उन जगहों पर देखा गया, जहां टीकाकरण कवरेज खराब था। कुपोषण के कारण विशेष रूप से शहरी झुग्गी क्षेत्रों में।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने खसरे के मामलों में वृद्धि का जायजा लेने के लिए रांची (झारखंड), अहमदाबाद (गुजरात), और मलप्पुरम (केरल) में तीन सदस्यीय टीम की नियुक्ति की है।
टीमें प्रकोप की जांच करने के लिए क्षेत्र का दौरा भी करेगी और बढ़ते मामलों के प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों, प्रबंधन दिशानिदेशरें और प्रोटोकॉल के संदर्भ में राज्य के स्वास्थ्य विभागों की सहायता करेंगी। यह एक्टिव केस सर्च सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ समन्वय करेगी।
–आईएएनएस
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