तिरुवनंतपुरम, 22 फरवरी (आईएएनएस)। माकपा, जो नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा प्रेस की आजादी को खत्म करने का मुखर विरोधी रही है, आज खुद उसी रास्ते पर चल रही है।
सबसे लोकप्रिय मलयालम टीवी एंकरों में से एक विनू वी. जॉन की गुरुवार को पुलिस के सामने पेश होना है, इसके साथ ही मीडिया के दमन का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
जॉन ने आईएएनएस को बताया कि पुलिस के कहने पर वह पेश होंगे।
यह घटना 28 मार्च, 2022 को तब हुई थी जब जॉन एशियानेट न्यूज चैनल में समाचार बुलेटिन की एंकरिंग कर रहे थे।
उनके खिलाफ 28 अप्रैल को मामला दर्ज किया गया और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
शिकायतकर्ता के अनुसार, जॉन का अपराध था कि उन्होंने माकपा राज्यसभा सदस्य एलामारम करीम पर अपना गुस्सा निकाला था, क्योंकि उन्होंने केरल को पूरा बंद करवा दिया था।
जॉन ने कहा कि जब एक मरीज को एक ऑटो-रिक्शा में ले जाया जा रहा था, तो उत्तर केरल में प्रदर्शनकारियों ने उसका भी रास्ता रोक लिया। न्यूज आवर डिबेट में उन्होंने बयान दिया कि एलामारम करीम के साथ अगर किसी ने ऐसा किया होता तो क्या होता।
माकपा की साइबर विंग ने जॉन के इन शब्दों पर आपत्ति जताई।
करीम ने कहा कि वह पुलिस प्रमुख और राज्यसभा के सभापति के समक्ष भी शिकायत दर्ज कराएंगे।
मार्च में हुई इस घटना के तुरंत बाद, स्थानीय सीटू इकाई ने जॉन के घर पर पोस्टर चिपका दिए।
पोस्टर सीटू पेरूरकडा एरिया कमेटी के नाम पर थे जिसने जॉन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने और उसे अलग-थलग करने का आह्वान किया था।
कुछ दिनों बाद, भाजपा को छोड़कर विभिन्न राजनीतिक दलों के ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने जॉन द्वारा की गई टिप्पणी के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए मलयालम टीवी समाचार चैनल एशियानेट तक मार्च किया।
सीपीआई (एम) की केरल इकाई ने मीडिया को चुप कराने का प्रयास किया।
वहीं दूसरी तरफ, सीपीआई (एम) ने बीबीसी और उसके महासचिव सीताराम येचुरी के ट्वीट के खिलाफ केंद्र द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले की निंदा की।
उन्होंने लिखा, हम दिल्ली और मुंबई में बीबीसी कार्यालयों में आयकर विभाग द्वारा किए गए सर्वे की निंदा करते हैं। यह सर्वे डॉक्यूमेंट्री द मोदी क्वेश्चन प्रसारित करने के लिए टेलीविजन चैनल को डराने और परेशान करने का एक जबरदस्त प्रयास है। मोदी सरकार की यह रणनीति नहीं चलेगी।
–आईएएनएस
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