मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
–आईएएनएस
एकेजे
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
–आईएएनएस
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
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एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
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वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
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अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
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मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
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वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
–आईएएनएस
एकेजे
मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
–आईएएनएस
एकेजे
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
–आईएएनएस
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
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एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।
–आईएएनएस
एकेजे
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मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पुणे के ससून अस्पताल से दो सप्ताह पहले भागे ड्रग डॉन ललित पाटिल को बुधवार को एक स्थानीय मजिस्ट्रेट अस्पताल ने 23 अक्टूबर तक पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे मुंबई पुलिस की एक टीम ने बेंगलुरु से पकड़ा था।
एक वकील ने कहा, पाटिल को सुबह मुंबई लाया गया और अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने मुंबई पुलिस को उसकी हिरासत में रिमांड दे दी।
मुंबई पुलिस अभियोजक ने कहा कि पाटिल नासिक ड्रग्स फैक्ट्री भंडाफोड़ में आरोपी था। वह मुंबई स्थित आपूर्तिकर्ता से कच्चा माल ले रहा था। आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई पुलिसने मामले में आगे की जांच करने के लिए उसकी रिमांड मांगी थी जिसमें संभावित विदेशी लिंक, अन्य सहयोगी और नशीले पदार्थों के गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है आदि शामिल है।
वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रिमांड सुनवाई के दौरान पाटिल ने दावा किया कि वह ‘भागा’ नहीं था, बल्कि कथित तौर पर उसका ‘अपहरण’ किया गया था। उसने कहा कि उसे पुणे पुलिस से जान का खतरा है।
मुंबई पुलिस ने पहले नासिक में उसकी अवैध नशीले पदार्थ निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने अक्टूबर 2020 में उसके करोड़ों रुपये के एमडी (मेफेड्रोन) रैकेट को नष्ट कर दिया था।
उस समय, ललित पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में बंद था। जून में टीबी और हर्निया के इलाज के लिए उसे ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वह 2 अक्टूबर को मौका पाकर ललित पाटिल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह अस्पताल से भाग निकला। इस पर एक बड़ा राजनीतिक हंगामा भी खड़ा हो गया था।
इस घटना की शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट, पुणे के कांग्रेस विधायक रवींद्र ढांगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधान पार्षद एकनाथ खडसे और विधायक रोहित पवार और गठबंधन के अन्य नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने ललित पाटिल के भागने में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया।
विपक्ष ने घटना की जांच और पाटिल का नार्को टेस्ट कराने तथा अस्पताल से उसके भागने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उसके भागने से ठीक तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने उसके सहयोगी सुभाष मंडल को ससून अस्पताल के बाहर से दो करोड़ रुपये मूल्य के 1.70 किलोग्राम से अधिक ड्रग के पैकेट के साथ पकड़ा था। संदेह था कि ललित पाटिल ने कैंटीन के एक लड़के के माध्यम से उसे (मंडल को) ड्रग्स की आपूर्ति की थी।
अस्पताल से भागने के बाद ललित पाटिल ज्यादातर सड़क मार्ग से होते हुये कथित तौर पर अपने मादक पदार्थ माफिया संपर्कों के माध्यम से धुले, औरंगाबाद, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक गया। मुंबई पुलिस की एक टीम एआई का उपयोग करके उसे ट्रैक करने और पकड़ने में कामयाब रही।
इस बीच, पुणे पुलिस ने भगोड़े ड्रग डॉन तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत 10 अक्टूबर को ललित पाटिल के भाई भूषण पाटिल और एक सहयोगी अभिषेक बलवाडकर को गिरफ्तार कर लिया था।