मुंबई, 19 अगस्त (आईएएनएस)। मुंबई पुलिस ने शनिवार को दो व्यापारियों के खिलाफ कथित तौर पर अपने व्यापारिक सहयोगियों से 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया। उन पर एक साल से मनी-लॉन्ड्रिंग रैकेट में शामिल होने का भी आरोप है।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) एफआईआर दर्ज करके शिकायतों की जांच कर रही है।
एफआईआर पीड़ित पक्षों में से एक इंटरस्पेस कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक विकास ओमप्रकाश नोवाल ने दर्ज कराई थी। जिसमें 4बी नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के राहुल भूपसिंह यादव और संजय सुखदेव सैनी को आरोपी बनाया गया है।
शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में आरोपियों के घरों और कार्यालयों पर छापा मारा।
एक अधिकारी ने कहा, “जांच जारी है। हम इस स्तर पर कुछ टिप्पणी नहीं कर सकते।”
शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्होंने आरोपियों राहुल भूपसिंह यादव और संजय सुखदेव के अलावा उनकी कंपनी के लिए प्रचार अभियान चलाया था। इसके बदले में दोनों ने उन्हें बिजनेस डील के लिए एक हिस्सा दिया।
बाद में उन्होंने कथित तौर पर 10 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान नहीं किया है।
दोनों ने अपने शेयरधारकों से रुपये लिए थे। लेकिन, इंटरस्पेस कम्युनिकेशन प्रालि. के कारण भुगतान करने में विफल रहे, जिसने उनके अभियान को क्रियान्वित किया।
–आईएएनएस
एबीएम
मुंबई, 19 अगस्त (आईएएनएस)। मुंबई पुलिस ने शनिवार को दो व्यापारियों के खिलाफ कथित तौर पर अपने व्यापारिक सहयोगियों से 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया। उन पर एक साल से मनी-लॉन्ड्रिंग रैकेट में शामिल होने का भी आरोप है।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) एफआईआर दर्ज करके शिकायतों की जांच कर रही है।
एफआईआर पीड़ित पक्षों में से एक इंटरस्पेस कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक विकास ओमप्रकाश नोवाल ने दर्ज कराई थी। जिसमें 4बी नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के राहुल भूपसिंह यादव और संजय सुखदेव सैनी को आरोपी बनाया गया है।
शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में आरोपियों के घरों और कार्यालयों पर छापा मारा।
एक अधिकारी ने कहा, “जांच जारी है। हम इस स्तर पर कुछ टिप्पणी नहीं कर सकते।”
शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्होंने आरोपियों राहुल भूपसिंह यादव और संजय सुखदेव के अलावा उनकी कंपनी के लिए प्रचार अभियान चलाया था। इसके बदले में दोनों ने उन्हें बिजनेस डील के लिए एक हिस्सा दिया।
बाद में उन्होंने कथित तौर पर 10 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान नहीं किया है।
दोनों ने अपने शेयरधारकों से रुपये लिए थे। लेकिन, इंटरस्पेस कम्युनिकेशन प्रालि. के कारण भुगतान करने में विफल रहे, जिसने उनके अभियान को क्रियान्वित किया।
–आईएएनएस
एबीएम