नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्र सरकार एक नया विधेयक ला रही है, जो भारत के चीफ जस्टिस को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया से बाहर कर देगा।
नए प्रस्तावित विधेयक को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच नए सिरे से टकराव शुरू होने की संभावना है।
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 गुरुवार को राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना है।
विधेयक में प्रस्ताव है कि मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के पैनल की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
चयन समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे, जिसमें विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त केंद्रीय कैबिनेट मंत्री सदस्य होंगे।
विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि सीईसी और अन्य ईसी को उन व्यक्तियों में से नियुक्त किया जाएगा जो भारत सरकार के सचिव के पद के बराबर पद धारण कर रहे हैं या कर चुके हैं और ईमानदार व्यक्ति होंगे, जिनके पास ज्ञान और अनुभव है।
इसमें यह भी प्रस्ताव है कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक खोज समिति होगी जिसमें सचिव के पद से नीचे के दो अन्य सदस्य शामिल होंगे, विचार के लिए पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार किया जाएगा।
वास्तव में, विधेयक का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को कमजोर करना है जिसमें एक संविधान पीठ ने कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश के पैनल की सलाह पर की जाएगी।
–आईएएनएस
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