चेन्नई, 20 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के सबसे पुराने व्यापारिक परिवारों में से एक – मुरुगप्पा – के दो युद्धरत गुटों ने अपने मतभेदों को दूर करते हुए कहा कि विवादों और मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जा रहा है।
यहां जारी एक संयुक्त बयान में मुरुगप्पा परिवार के सदस्यों ने कहा कि दिवंगत एम.वी. मुरुगप्पन की पारिवारिक शाखा सदस्य आपसी विवादों और मतभेदों को सुलझाने पर सहमत हुए हैं। परिवार के सदस्यों में वल्ली अरुणाचलम और वेल्लाची मुरुगप्पन एक तरफ हैं जबकि परिवार के बाकी सदस्य दूसरी तरफ।
एम.वी. मुरुगप्पन के 2017 में देहावसान के बाद परिवार में मतभेद पैदा हो गए।
अमेरिका में रहने वाली उनकी सबसे बड़ी बेटी वल्ली अरुणाचलम ने परिवार की हिस्सेदारी के आधार पर समूह की होल्डिंग कंपनी अंबाडी इन्वेस्टमेंट्स की बोर्ड में जगह की मांग की थी। मुरुगप्पा परिवार के अन्य सदस्यों ने उनकी मांग खारिज कर दी।
रविवार को यहां जारी बयान के अनुसार, मुरुगप्पा परिवार के सदस्यों ने पहले अपने-अपने सलाहकारों की उपस्थिति में एक बैठक में पारिवारिक व्यवस्था की शर्तों पर आपस में चर्चा की और निष्कर्ष निकाला।
बयान में कहा गया है, “यह समझ आज मुरुगप्पा परिवार के सदस्यों द्वारा स्वर्गीय एम.वी. मुरुगप्पन की पारिवारिक शाखा (श्रीमती वल्ली अरुणाचलम और श्रीमती वेल्लाची मुरुगप्पन सहित) के साथ किए गए एक ज्ञापन के माध्यम से दर्ज की गई। परिवार के सदस्य अगले 90 दिनों के भीतर पारिवारिक व्यवस्था को प्रभावित करने के लिए आवश्यक लेनदेन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
इसमें कहा गया है, “पारिवारिक व्यवस्था की परिकल्पना मुख्य रूप से मुरुगप्पा परिवार के सदस्यों के बीच मित्रता लाने और सद्भावना बनाए रखने तथा इस पीढ़ी के साथ-साथ भविष्य में भी परिवार के भीतर समग्र सद्भाव बनाए रखने के लिए की गई है।”
बयान के मुताबिक समझौते की शर्तें गोपनीय हैं।
पारिवारिक व्यवस्था के हिस्से के रूप में पार्टियां इस बात पर भी सहमत हुई हैं कि पारिवारिक व्यवस्था की शर्तों के अनुसार पारिवारिक निपटान में निर्दिष्ट सभी सहमत कदम पूरे होने के बाद परिवार समूहों के बीच सभी कानूनी प्रक्रियाएं बंद कर दी जाएंगी।
बयान में कहा गया है कि मुरुगप्पा समूह का हिस्सा बनने वाली कोई भी सूचीबद्ध कंपनी पारिवारिक व्यवस्था में पार्टी नहीं है, और पारिवारिक व्यवस्था में कुछ भी ऐसी कंपनियों के प्रबंधन या नियंत्रण से संबंधित नहीं है, या पार्टियों को कोई विशेष अधिकार नहीं देता है।
–आईएएनएस
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