नई दिल्ली, 28 अप्रैल (आईएएनएस)। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रहे देश के जाने माने अर्थशास्त्री, लेखक और स्तंभकार के साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत रह चुके सुरजीत भल्ला ने आईएएनएस के साथ बातचीत में भारत की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने बताया कि कैसे मुस्लिम तुष्टीकरण की वजह से कांग्रेस कमजोर हुई है।
उन्होंने कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टीकरण के सवाल पर आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में कहा, “तुष्टीकरण जो आप कह रहे हैं, खासकर मुस्लिम तुष्टीकरण की बात तो वह शुरू हुआ खुमैनी से जब ईरान में फंडामेंटलिस्ट सक्रिय हुए और फिर 1984 में जब राजीव गांधी सरकार आई तो शाहबानो केस आपको याद होगा। फिर, सलमान रुश्दी की जब किताब बैन कर दी। आप यह देखिए यह जो राम मंदिर का उन्होंने इतना चर्चा किया। इतने सारे मस्जिद हैं और बहुत सारे टेंपल्स भी हैं। मगर, हिंदू के लिए दो-तीन मंदिर हैं, जिसमें राम मंदिर जो है वो मोस्ट फर्स्ट अमोंगस्ट इक्वल्स है, जिसमें इन्होंने जो ऑब्जेक्शन की थी बाबरी मस्जिद में है कि नहीं, यहां पर राम टेंपल नहीं होना चाहिए। उससे उन्हें ज्यादा नुकसान हुआ है और अपोजिशन की या कांग्रेस की जो अपिजमेंट वहां से शुरू हुई है। मैं मानता हूं कि इससे ज्यादा नुकसान हुआ। हमें आगे के लिए यह देखना है कि अपिजमेंट नहीं होनी चाहिए, ना फेवरेटिज्म होना चाहिए। सबको इक्वलिटी और डाइवर्सिटी होनी चाहिए, जो हमारी स्ट्रैंथ है। एक जो हमारी जो पॉलिसी है, अब उसमें भी चेंज होना चाहिए, रिजर्वेशन मेरे ख्याल से तो बिल्कुल गलत पॉलिसी थी। जब मैं कहता हूं “लेट द डाटा स्पीक”, आप पढ़िए कि अगर इस पॉलिसी से फायदा हुआ है तो उस पॉलिसी को हमें ज्यादा आगे बढ़ाना चाहिए। अगर पॉलिसी से फायदा नहीं हुआ तो उसको हमें चेंज करना चाहिए। 2011 में कांग्रेस ने जाति जनगणना कराया था, जब वह पावर में थी उसका कुछ पब्लिकेशन नहीं हुआ। उन्होंने इसे किया और डिसाइड कर लिया कि पब्लिश नहीं करेंगे।”
उन्होंने कहा, “देखिए अब कांग्रेस यह भी कहती है कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए। रिजर्वेशन होनी चाहिए। यह अब काफी आउटडेटेड विचार है। मुझे लगता है कि इनकी अपील नहीं है। हिंदुस्तान की ताकत जो है, भारत की जो ताकत है वह अनेकता में एकता है। अगर आप सबको कहें कि सबको कोटा से चलना चाहिए जो कांग्रेस के लीडर्स अभी कह रहे हैं उससे क्या मिलेगा? मुझे लगता है कि उनका कैंपेन ही ठीक नहीं है।”
राहुल गांधी के जातिगत जनगणना के अलावा इंस्टीट्यूशनल सर्वे और फाइनेंशियल सर्वे कराने की बात पर उन्होंने कहा, “मैं यही कहता हूं कि प्लीज आप डाटा को देखिए, वह डाटा को नहीं देखते। वह अपनी आईडियोलॉजी को देखते हैं। इंडिया में कभी कोई इनकम डिस्ट्रीब्यूशन सर्वे हुआ नहीं है। मेरे ख्याल से होना चाहिए। जब भी मुझसे पूछते हैं तो मैं कहता हूं जरूर करिए और चुनाव के बाद अगर करेंगे तो बहुत अच्छी बात है। यह आईडियोलॉजी की बात है। आईडियोलॉजी हम सब की होती है। हमें देखना चाहिए कि डाटा क्या कहता है और उसके मुताबिक हमें फैसला लेना चाहिए। यह मुद्दा कांग्रेस के लिए कमजोर साबित हो सकता है।”
वहीं, 2047 तक विकसित भारत बनाने की जो बात पीएम मोदी कर रहे हैं, उस पर उन्होंने कहा कि, मैंने तो इसके ऊपर लिखा और रिसर्च किया हुआ है। इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। अगर आप प्रॉपर डेफिनेशन लें कि डेवलप नेशन क्या होता है तो मेरे मुताबिक 2045 तक हमें इस लक्ष्य तक पहुंचना होगा। हमें उसके लिए 6% जीडीपी ग्रोथ चाहिए। आज हम 8% पर हैं। थोड़े सालों के लिए फिर नीचे आएंगे, मगर, एवरेज ग्रोथ रेट हमारी तो 6% बड़ी आसानी से हो सकती है। मुझे विकसित भारत को लेकर कोई डाउट नहीं है। विकसित भारत का जो गोल है और जो टारगेट है, वह हासिल हो जाएगा।
इसके साथ ही देश कितनी जल्दी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 2027 तक हो सकता है। पक्का मानकर चलिए कि 2028 तक तो हो जाएगा। अब हमें यह देखना होगा कि हमारी ग्रोथ रेट क्या है? पर कैपिटा इनकम क्या है? हमारे हिंदुस्तान के इकोनॉमी की ताकत यह है कि ग्रोथ काफी अच्छे लेवल पर पहुंच गई है। मुझे लगता है कि चार से पांच सालों में पर कैपिटा इनकम 7% से भी ज्यादा होगी। अब दुनिया बदल गई है और हम भी बदल गए हैं। देश का विकास दुनिया में नंबर वन है और मेरा मानना है कि यह आगे भी जारी रहेगा।
–आईएएनएस
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