बेंगलुरु, 6 जनवरी (आईएएनएस)। कन्नड़ साहित्य परिषद द्वारा आयोजित 86वें अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन (अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन) का शुक्रवार को कर्नाटक के हावेरी जिले में बड़े धूमधाम से उद्घाटन किया गया। हालांकि मुस्लिम लेखकों और साहित्यकारों को दरकिनार करने के लिए साहित्यिक उत्सव विवादों में रहा। तीन दिवसीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के पैतृक शहर हावेरी में आयोजित किया जा रहा है।
सम्मान के लिए पैनल अचीवर्स का चयन विवाद में चला गया है, क्योंकि सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने पक्षपाती ²ष्टिकोण की आलोचना की है।
आरोप है कि अलग-अलग क्षेत्रों के 83 अचीवर्स में से किसी भी मुस्लिम लेखक को नहीं चुना गया है। मुख्य मंच पर नौ सेमिनारों में से किसी भी मुस्लिम लेखक को आमंत्रित नहीं किया गया है।
कवि सम्मेलन में भी एक भी मुस्लिम लेखक को अवसर नहीं मिला है और तटीय कर्नाटक के मुसलमानों द्वारा बोली जाने वाली ब्यारी भाषा पर विचार नहीं किया गया है। जबकि कोंकणी, सोलिगा, तुलु और कोडवा जैसी अन्य बोलियों पर भी चर्चा हुई।
मुस्लिम लेखकों के प्रति इस पक्षपातपूर्ण ²ष्टिकोण का विरोध करते हुए कन्नड़ कार्यकर्ताओं और समान विचारधारा वाले साहित्यकारों ने 8 जनवरी को बेंगलुरु में एक दिवसीय समानांतर साहित्यिक सम्मेलन का आयोजन किया है। जाने-माने कन्नड़ लेखक भानु मुश्ताक को सम्मेलन का अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया गया है।
सम्मेलन का उद्घाटन दलित लेखक और सेवानिवृत्त नौकरशाह मूडनाकुडु चिन्नास्वामी करेंगे। कार्यक्रम पूर्व छात्र संघ के परिसर में के.आर. बेंगलुरु में सर्कल में आयोजित होगा।
सम्मेलन को जन साहित्य सम्मेलन (जन साहित्य सम्मेलन) नाम दिया गया है।
भोजन पर प्रभुत्व और राजनीति, अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले, साहित्य जगत की जिम्मेदारियां, कन्नड़ भाषा में ईसाई मिशनरियों का योगदान जैसे विषयों को प्रस्तुत किया जाएगा।
–आईएएनएस
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