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मेडिकल डिवाइस के लिए सरकार ने लॉन्च की 500 करोड़ रुपये की योजना, मेडटेक दिग्गजों ने सराहा

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November 9, 2024
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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

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मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

–आईएएनएस

एसकेटी/केआर

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

–आईएएनएस

एसकेटी/केआर

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

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मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

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मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

–आईएएनएस

एसकेटी/केआर

नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

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मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

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डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

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नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की है। शनिवार को मेडटेक लीडर्स ने कहा कि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए सरकार की नई 500 करोड़ रुपये की योजना से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को मजबूत करने की योजना” शुरू की।

500 करोड़ के कुल परिव्यय वाली 5-इन-1 योजना मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को टारगेट करते हुए पेश की गई है। यह योजना जरूरी कम्पोनेंट्स और एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग, स्किल डेवलपमेंट, क्लिनिकल स्टडी को सपोर्ट करने और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर- इंडस्ट्री प्रमोशन से जुड़ी है।

जानकारों ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पर आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और महत्व हाल ही में कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक महसूस की गई। इसके साथ ही मेडिकल किट, सीरिंज, वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट की जरूरत पैदा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि बजट छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री के लिए प्रेरणादायक है।

एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने आईएएनएस से कहा, “आपने देखा कि कोविड के दौरान, पूरे देश में लॉकडाउन इसलिए था क्योंकि हमारे पास मेडिकल डिवाइस नहीं थे, जो महामारी से लड़ने के लिए जरूरी थे। चार महीने तक, हम वेंटिलेटर, मास्क और पीपीई किट बनाने जैसी सामग्री एकत्र कर रहे थे। मुझे लगता है कि देश ने तब मेडिकल डिवाइस के महत्व को समझा।”

उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन छोटा और मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक अभूतपूर्व रणनीति है जिसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।”

डायग्नोस्टिक मशीनों से लेकर सर्जिकल उपकरणों तक और स्टेंट से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक, मेडिकल डिवाइस बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का मेडिकल डिवाइस बाजार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने आईएएनएस से कहा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेडिकल डिवाइस योजना स्वास्थ्य सेवा संप्रभुता प्रदान करेगी, इस तरह से कि हमारे लिए स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड के दौरान, जब इस आत्मनिर्भरता की कमी थी, तो हमें इसकी कमी महसूस हुई।”

नैटहेल्थ के सचिव अनीश बाफना ने आईएएनएस से कहा, “मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है”।

हेल्थियम मेडटेक के सीईओ और एमडी बाफना ने कहा, “एक मजबूत लोकल सप्लाई चेन डेवलप करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे लागत कम होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।”

–आईएएनएस

एसकेटी/केआर

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