जबलपुर. मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी द्वारा 40 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने के बावजूद भी अनुत्तीर्ण घोषित किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी.
याचिका में कहा गया था कि यह उसका अंतिम अवसर था और अनुत्तिर्ण होने के कारण उसे एमबीबीएस कोर्स से निकाल दिया जायेंगा. हाईकोर्ट जस्टिस एस ए धर्माधिकारी व जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
बड़वानी जिले के निवासी छाए शोएब खान की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता उसने साल 2021 में नेता जी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया था.
बीमारी के कारण वह प्रथम तीन अवसर में प्रथम सेमेस्टर उत्तीर्ण नही कर पाया. उसने चौथे व अंतिम अवसर प्रयास करने हुए एनाटॉमी सहित अन्य विषय में 40 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किये,फिर भी उसे अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया.
याचिकाकर्ता छात्र के तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के द्वारा अगस्त 2023 को प्रकाशित की गयी अधिसूचना के अनुसार उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक पर्याप्त हैं.
इस अधिसूचना को 1 अगस्त 2023 के बाद आयोजित परीक्षाओं पर लागू किया गया है. इसके बावजूद भी पूर्व के अधिसूचना के आधार पर याचिकाकर्ता छात्र को उत्तीर्ण किया गया है. याचिका में मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी,नेशनल मेडिकल कमीशन तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज को अनावेदक बनाया गया था. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.