गया, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा इन दिनों बिहार के गया जिले के बोधगया में एक महीने के प्रवास पर हैं। शुक्रवार 29 दिसंबर से 31 दिसंबर तक बोधगया के कालचक्र मैदान में वह तीन दिन तक प्रवचन देंगे। इस दौरान मोक्ष स्थली और ज्ञानस्थली के रूप में चर्चित गया के बोधगया में दलाई लामा के प्रवचन को लेकर बौद्धों की पूरी दुनिया यहां सिमट गई है। देश के विभिन्न राज्यों के अलावा कई देशों से करीब 60 हजार से ज्यादा बौद्ध धर्मालंबी पूजा में धर्मगुरु को देखने और सुनने के लिए बोधगया में उपस्थित हैं।
प्रवचन के पहले दिन आज दलाई लामा ने परम पावन नागार्जुन की इन स्थिति ऑफ धम्म धातु पर प्रवचन दिया। वह 31 दिसंबर को मंजूश्री सशक्तिकरण प्रदान करेंगे। मंजूश्री का आह्वान करते हुए दलाई लामा उनकी शक्ति को यहां श्रद्धालुओं में आने का प्रवचन देंगे।
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कालचक्र मैदान के मुख्य द्वार के नजदीक महात्मा बुद्ध की आशीर्वाद मुद्रा में 10.50 फुट आकार की उजाला मार्बल से बनी प्रतिमा का अनावरण भी किया। भगवान बुद्ध की प्रतिमा का निर्माण कालचक्र के मैदान में ही करवाया गया है। प्रतिमा काफी भव्य एवं आकर्षक भी है।
काचलक्र मैदान से धर्मगुरु का काफिला तिब्बत मठ के लिए निकला। बच्चे, बुजुर्ग महिला सभी श्रद्धालु हाथ जोड़े खड़े रहे। दलाई लामा ने हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार किया।
पूजा शुरू होते ही दलाई लामा के प्रवचन और मंत्रों के जाप से बुद्धनगरी गूंजता रहा। शुक्रवार को पूजा में तंत्र की दीक्षा, अभिषेक, मंडल में प्रवेश सहित अन्य अनुष्ठान और दलाई लामा द्वारा तिब्बती भाषा में मंत्रों के जाप हुआ। दलाई लामा को देखने और सुनने के लिए भारत के विभिन्न प्रान्तों के अलावे अमिरेका, रूस, इंडोनेशिया, कम्बोडिया, जर्मन, स्पेन, कोरिया, फ्रांस, चीन, वियतनाम, थाईलैंड, जापान, मंगोलिया, हंगरी, नेपाल, भूटान व तिब्बत समेत 50 से अधिक देशों से लगभग 60 हजार बौद्ध श्रद्धालु बोधगया पहुंचे हैं। इसको लेकर बोधगया में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
धर्मगुरु ने श्रद्धालुओं को विश्व शांति के लिए विशेष प्रवचन दिया। प्रवचन के दौरान धर्मगुरु दलाईलामा ने बौद्ध अनुयायियों से कहा कि कभी भी नकारात्मक सोच नही रखें, सभी लोग एक दूसरे की मदद करे, ताकि पूरे विश्व में भाईचारे का माहौल पैदा हो, शांति बनी रहे। इसके लिए भगवान बुद्ध के संदेशों को आत्मसात करें। बुद्ध के बताए मार्ग पर चलकर ही पूरे विश्व में शांति लाई जा सकती है।
–आईएएनएस
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