नई दिल्ली/जम्मू/ओडिशा, 23 जून (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को हराकर सत्ता से बाहर करने के लक्ष्य को लेकर बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक हुई।
लेकिन, विपक्षी एकता की इस बड़ी कोशिश पर कटाक्ष करते हुए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक में शामिल दलों पर जोरदार हमला बोला है।
पटना की बैठक में जम्मू कश्मीर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती शामिल हुईं। उसी जम्मू से विपक्षी नेताओं की बैठक पर कटाक्ष करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज पटना में एक फोटो सेशन चल रहा है। सारे विपक्ष के नेता एक मंच पर साथ आ रहे हैं और संदेश देना चाहते हैं कि वे एनडीए और मोदी को चैलेंज करेंगे। लेकिन, वह सभी को कहना चाहते हैं कि कितना भी हाथ मिला लें, इनकी एकता संभव नहीं है और अगर हो भी गई तो जनता 2024 में 300 से ज्यादा सीटें जिताकर मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने जा रही है।
अमित शाह ने राहुल गांधी के स्वभाव पर निशाना साधते हुए कहा कि धारा-370 हटानी है, तो विरोध करेंगे, राम मंदिर बनाना है, तो विरोध करेंगे, तीन तलाक हटाना है, तो विरोध करेंगे। विरोध करते-करते राहुल गांधी का स्वभाव ही विरोध का बन गया है।
वहीं, ओडिशा की धरती से भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पटना बैठक की मेजबानी करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और बैठक में मौजूद रहने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा।
जेपी नड्डा ने कहा कि आज उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। ये विपक्षी बिहार में गलबहियां कर रहे हैं। लेकिन, ये भूल गए कि लालू प्रसाद यादव को राहुल गांधी की दादी ने 22 महीने के लिए जेल में डाला था। नीतीश कुमार 20 महीने के लिए जेल की सलाखों के पीछे थे।
उन्होंने कहा कि आज पटना की धरती पर जब उन्होंने राहुल गांधी का स्वागत करते हुए उनकी तस्वीरें देखी तो उन्हें लगा कि राजनीति में क्या से क्या हो गया।
जेपी नड्डा ने कहा कि उद्धव ठाकरे के पिता हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे कहा करते थे कि वे शिवसेना को कांग्रेस नहीं बनने देंगे। अगर उन्हें कांग्रेस से हाथ मिलाना पड़े तो वे अपनी दुकान बंद कर देंगे। भाजपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि आज बाला साहेब ठाकरे सोचते होंगे कि उनके बेटे ने ही शिवसेना की दुकान बंद कर दी है।
बता दें कि विपक्षी एकता की कोशिश को लेकर भाजपा की रणनीति बिल्कुल साफ है कि इन दलों के बीच के आपसी अंतर्विरोध और टकराव को ज्यादा से ज्यादा उभारकर मतदाताओं के साथ-साथ इन दलों के कैडर वोट और समर्पित कार्यकतार्ओं को राजनीतिक संदेश दिया जाए। ऐसे में जाहिर है कि विपक्षी एकता की कोशिशों पर भाजपा नेताओं का प्रहार आगे भी जारी रहेगा।
–आईएएनएस
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