वाशिंगटन, 23 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपना सार्वजनिक और सीधा संदेश यह युद्ध का युग नहीं, संवाद व कूटनीति का है को दोहराते हुए यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर भारत की स्थिति के बारे में अमेरिकी कांग्रेस में चिंताओं को दूर करने की कोशिश की।
उनके संदेश के बाद सभी के खड़े होकर तालियां बजाने से पता चला कि कांग्रेस के सदस्य प्रधानमंत्री से यह आश्वासन सुनना चाहते थे, क्योंकि उनमें से कई, जिनमें द्विपक्षीय संबंधों के कट्टर और स्थिर मित्र भी शामिल थे, ने रूस की निंदा करने से भारत के इनकार पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि अब समय आ गया है भारत को चुनना है कि वह किस पक्ष में रहना चाहता है।
मोदी ने लोकतंत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के बारे में भी विस्तार से बात की, जो कांग्रेस के लिए चिंता का एक और मुद्दा था। इस सप्ताह 70 से अधिक कांग्रेस सदस्यों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को एक संयुक्त पत्र लिखकर उनसे भारत में लोकतंत्र, धार्मिक और प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दों को उठाने का आग्रह किया था।
हालांकि, प्रधान मंत्री ने 2022 में भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर दिल्ली सल्तनत और मुगलों के शासन को ब्रिटिश साम्राज्य के साथ जोड़कर उन्हें हजारों साल के विदेशी शासन के रूप में बुलाया।
मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को दो बार संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री बन गए। उन्होंने इसे असाधारण बताया।
उन्होंने टेलिप्रॉम्प्टर से पढ़ते हुए अंग्रेजी में बात की, मंच पर और खचाखच भरी दर्शक दीर्घा से बार-बार तालियां बजती रहीं, दर्शक बार-बार मोदी, मोदी और अंत में वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाकर उनका उत्साहवर्धन करते रहे।
मोदी ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को हाल के वर्षों में गहरे विघटनकारी घटनाक्रम में से एक बताया जब युद्ध यूरोप में लौट आया। उन्होंने कहा कि इसका ग्लोबल साउथ पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
प्रधान मंत्री ने सांसदों की जोरदार तालियों के बीच कहा, वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के सम्मान, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है।
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मोदी ने कहा, जैसा कि मैंने सीधे तौर पर और सार्वजनिक रूप से कहा है, यह युद्ध का युग नहीं, बातचीत और कूटनीति का युग है। रक्तपात और मानवीय पीड़ा को रोकने के लिए हमें वह सब करना चाहिए जो हम कर सकते हैं।
मोदी उज्बेकिस्तान के समरकंद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संयुक्त मीडिया संबोधन के दौरान अपनी टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे।
मोदी ने पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है। उनकी यह टिप्पणी दुनिया भर में गूंजी थी।
प्रधान मंत्री ने सार्वजनिक और निजी तौर पर कई सांसदों की एक और चिंता के निराकरण की भी कोशिश की, जिसे वे धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने, असहमति और प्रेस की स्वतंत्रता पर कार्रवाई के साथ भारत में लोकतंत्र की गिरावट के रूप में देखते हैं।
डेमोक्रेटिक सीनेटर मार्क वार्नर, जो इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष हैं, ने भी कहा था कि वह प्रधानमंत्री मोदी को लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करते देखना चाहेंगे।
मोदी ने कहा, लोकतंत्र पवित्र और साझा मूल्यों में से एक है। उन्होंने , लोकतंत्र वह भावना है जो समानता और सम्मान का समर्थन करती है, लोकतंत्र वह विचार है, जो बहस और चर्चा का स्वागत करता है, लोकतंत्र एक संस्कृति है, जो विचारों व अभिव्यक्ति को पंख देती है।
उन्होंने कहा, भारत लोकतंत्र की जननी है। भारत को अनादि काल से लोकतांत्रिक मूल्यों का सौभाग्य प्राप्त है।
प्रधान मंत्री ने अपने तर्क के समर्थन में एक संस्कृत वाक्यांश पढ़ा। उन्होंने कहा,सत्य एक है लेकिन बुद्धिमान इसे अलग-अलग तरीकों से व्यक्त करते हैं।
–आईएएनएस
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