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Home राष्ट्रीय

मोदी सरकार की किसान हितैषी योजनाएं, आर्थिक से लेकर सामाजिक विकास तक का रखा गया ध्यान

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February 15, 2024
in राष्ट्रीय
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मोदी सरकार की किसान हितैषी योजनाएं, आर्थिक से लेकर सामाजिक विकास तक का रखा गया ध्यान
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नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। भारत कृषि प्रधान देश है और ऐसे में किसानों के विकास के साथ देश का विकास जुड़ा हुआ है। मोदी सरकार ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में किसानों के हितों के लिए अनेकों कदम उठाए हैं। अनेकों ऐसी योजनाएं शुरू कि जो आज अन्नदाताओं के लिए हितकारी साबित हो रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई दफा चुनावी रैलियों में जिक्र कर चुके हैं कि किसान हमेशा से ही उनके लिए प्राथमिकता की सूची में शीर्ष पर हैं और हमेशा रहेंगे।

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केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से पिछले 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती और किसानी के विकास के लिए किए गए कामों का आंकड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रखा गया है, जिसका तुलनात्मक अध्ययन बता रहा है कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में किसानों का विकास कहां से कहां तक पहुंचा है।

बीते 10 साल के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई, किसानों की हर जरूरतों का ख्याल रखा गया। सरकार किसानों की आर्थिक जरूरतों से लेकर खेती-बाड़ी में प्रयोग होने वाले हर छोटे-बड़े उपकरणों तक का ध्यान रख रही है। किसानों की इन जरूरतों की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिसमें एक ‘किसान मानधन योजना’ है। इस योजना के अंतर्गत वृद्ध किसानों को पेंशन देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार ने इस योजना की जरूरत को समझा और इसे जमीन पर लागू किया, जिसका नतीजा है कि आज असंख्य किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। ‘किसान मानधन योजना’ के अंतर्गत 60 साल की उम्र को पार कर चुके किसानों को प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इस बात पर जोर दिया था कि किसानों के आने वाले भविष्य सुरक्षित करने के मकसद से इस ‘किसान मानधन योजना’ की शुरुआत की गई है।

इसके अलावा हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण गृह नहीं है, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना को मंजूरी दी है। इससे किसान भाई अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकेंगे ताकि उनकी फसल बर्बाद होने बचें।

सरकार ने नारियल उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी विशेष ध्यान रखा है। उन्हीं के हितों को ध्यान में रखते हुए 2024 सीज़न के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा मिलिंग कोपरा के एमएसपी में 113% की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद बॉल कोपरा के एमएसपी में 118% की बढ़ोतरी दी गई।

इसके साथ ही 2019 के फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति करने के मकसद से किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है। किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक 11 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं, जिसके तहत 2.8 लाख करोड़ की सम्मान निधि आवंटित हुई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, 2016-17 से 5,696.8 लाख किसान आवेदनों का बीमा किया गया है, जिसमें किसानों को दावों के रूप में कुल 1,54,469 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं, किसानों को किफायती दरों पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने के मकसद से फर्टिलाइजर पर रबी सीजन 2023-24 के लिए एनपीएस दरें स्वीकृत की गई है, जिस पर 22,303 करोड़ रुपये का खर्च अनुमान जताया गया है।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने करीब 11 करोड़ किसानों को 2.62 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है, जिसके लिए 2013-14 से 2023-24 तक बजट में 363% की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, 2022-23 में कृषि क्षेत्र को 18.5 लाख करोड़ का संस्थागत ऋण देने का ऐलान किया गया था। इसके साथ ही हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी केंद्र सरकार ने विशेष ध्यान रखा है। हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की।

2030 तक हल्दी निर्यात को 1 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, सरकार का किसानों की आय बढ़ाने पर भी विशेष जोर है। इसके लिए सरकार का फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में प्राइवेट और पब्लिक निवेश को बढ़ावा देने पर जोर है। इसके साथ ही सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर एप्लीकेशन का विस्तार पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। डेयरी किसान भी सरकार की प्राथमिकता में हैं। डेयरी किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

कृषि अवसंरचना में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 2020 में 2 करोड़ की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज छूट के साथ लॉन्च किया गया था।

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर) देश में जैविक खेती को बढ़ावा देती है। अब तक लगभग 16.19 लाख किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं। भारत सरकार अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को केसीसी के माध्यम से 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण प्रदान कर रही है।

कृषि क्षेत्र में कृषि और संबद्ध वस्तुओं के निर्यात में जोरदार वृद्धि देखी गई, जो 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 53.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में 265.95 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में रिकॉर्ड 329.69 मिलियन टन हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन है।

किसानों के हितों को विशेष प्राथमिकता देते हुए कृषि बजट को 5 फीसद बढ़ा दिया गया है। उर्वरक उत्पादन व सब्सिडी में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों के बीच अब नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धता भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से फसल नुकसान कवर का दायरा बढ़ा है और अभी तक किसानों को इसके जरिए 1.54 लाख करोड़ का क्लेम दिया जा चुका है। नमो ड्रोन दीदी योजना से ड्रोन की खरीदारी पर 80 प्रतिशत राहत मिल रही है। देशभर में 1,389 मंडियां ई-मंडी नाम पर रजिस्टर्ड हुई हैं।

–आईएएनएस

एसएचके/एबीएम

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नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। भारत कृषि प्रधान देश है और ऐसे में किसानों के विकास के साथ देश का विकास जुड़ा हुआ है। मोदी सरकार ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में किसानों के हितों के लिए अनेकों कदम उठाए हैं। अनेकों ऐसी योजनाएं शुरू कि जो आज अन्नदाताओं के लिए हितकारी साबित हो रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई दफा चुनावी रैलियों में जिक्र कर चुके हैं कि किसान हमेशा से ही उनके लिए प्राथमिकता की सूची में शीर्ष पर हैं और हमेशा रहेंगे।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से पिछले 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती और किसानी के विकास के लिए किए गए कामों का आंकड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रखा गया है, जिसका तुलनात्मक अध्ययन बता रहा है कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में किसानों का विकास कहां से कहां तक पहुंचा है।

बीते 10 साल के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई, किसानों की हर जरूरतों का ख्याल रखा गया। सरकार किसानों की आर्थिक जरूरतों से लेकर खेती-बाड़ी में प्रयोग होने वाले हर छोटे-बड़े उपकरणों तक का ध्यान रख रही है। किसानों की इन जरूरतों की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिसमें एक ‘किसान मानधन योजना’ है। इस योजना के अंतर्गत वृद्ध किसानों को पेंशन देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार ने इस योजना की जरूरत को समझा और इसे जमीन पर लागू किया, जिसका नतीजा है कि आज असंख्य किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। ‘किसान मानधन योजना’ के अंतर्गत 60 साल की उम्र को पार कर चुके किसानों को प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इस बात पर जोर दिया था कि किसानों के आने वाले भविष्य सुरक्षित करने के मकसद से इस ‘किसान मानधन योजना’ की शुरुआत की गई है।

इसके अलावा हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण गृह नहीं है, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना को मंजूरी दी है। इससे किसान भाई अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकेंगे ताकि उनकी फसल बर्बाद होने बचें।

सरकार ने नारियल उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी विशेष ध्यान रखा है। उन्हीं के हितों को ध्यान में रखते हुए 2024 सीज़न के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा मिलिंग कोपरा के एमएसपी में 113% की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद बॉल कोपरा के एमएसपी में 118% की बढ़ोतरी दी गई।

इसके साथ ही 2019 के फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति करने के मकसद से किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है। किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक 11 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं, जिसके तहत 2.8 लाख करोड़ की सम्मान निधि आवंटित हुई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, 2016-17 से 5,696.8 लाख किसान आवेदनों का बीमा किया गया है, जिसमें किसानों को दावों के रूप में कुल 1,54,469 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं, किसानों को किफायती दरों पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने के मकसद से फर्टिलाइजर पर रबी सीजन 2023-24 के लिए एनपीएस दरें स्वीकृत की गई है, जिस पर 22,303 करोड़ रुपये का खर्च अनुमान जताया गया है।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने करीब 11 करोड़ किसानों को 2.62 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है, जिसके लिए 2013-14 से 2023-24 तक बजट में 363% की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, 2022-23 में कृषि क्षेत्र को 18.5 लाख करोड़ का संस्थागत ऋण देने का ऐलान किया गया था। इसके साथ ही हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी केंद्र सरकार ने विशेष ध्यान रखा है। हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की।

2030 तक हल्दी निर्यात को 1 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, सरकार का किसानों की आय बढ़ाने पर भी विशेष जोर है। इसके लिए सरकार का फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में प्राइवेट और पब्लिक निवेश को बढ़ावा देने पर जोर है। इसके साथ ही सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर एप्लीकेशन का विस्तार पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। डेयरी किसान भी सरकार की प्राथमिकता में हैं। डेयरी किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

कृषि अवसंरचना में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 2020 में 2 करोड़ की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज छूट के साथ लॉन्च किया गया था।

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर) देश में जैविक खेती को बढ़ावा देती है। अब तक लगभग 16.19 लाख किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं। भारत सरकार अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को केसीसी के माध्यम से 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण प्रदान कर रही है।

कृषि क्षेत्र में कृषि और संबद्ध वस्तुओं के निर्यात में जोरदार वृद्धि देखी गई, जो 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 53.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में 265.95 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में रिकॉर्ड 329.69 मिलियन टन हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन है।

किसानों के हितों को विशेष प्राथमिकता देते हुए कृषि बजट को 5 फीसद बढ़ा दिया गया है। उर्वरक उत्पादन व सब्सिडी में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों के बीच अब नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धता भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से फसल नुकसान कवर का दायरा बढ़ा है और अभी तक किसानों को इसके जरिए 1.54 लाख करोड़ का क्लेम दिया जा चुका है। नमो ड्रोन दीदी योजना से ड्रोन की खरीदारी पर 80 प्रतिशत राहत मिल रही है। देशभर में 1,389 मंडियां ई-मंडी नाम पर रजिस्टर्ड हुई हैं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। भारत कृषि प्रधान देश है और ऐसे में किसानों के विकास के साथ देश का विकास जुड़ा हुआ है। मोदी सरकार ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में किसानों के हितों के लिए अनेकों कदम उठाए हैं। अनेकों ऐसी योजनाएं शुरू कि जो आज अन्नदाताओं के लिए हितकारी साबित हो रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई दफा चुनावी रैलियों में जिक्र कर चुके हैं कि किसान हमेशा से ही उनके लिए प्राथमिकता की सूची में शीर्ष पर हैं और हमेशा रहेंगे।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से पिछले 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती और किसानी के विकास के लिए किए गए कामों का आंकड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रखा गया है, जिसका तुलनात्मक अध्ययन बता रहा है कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में किसानों का विकास कहां से कहां तक पहुंचा है।

बीते 10 साल के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई, किसानों की हर जरूरतों का ख्याल रखा गया। सरकार किसानों की आर्थिक जरूरतों से लेकर खेती-बाड़ी में प्रयोग होने वाले हर छोटे-बड़े उपकरणों तक का ध्यान रख रही है। किसानों की इन जरूरतों की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिसमें एक ‘किसान मानधन योजना’ है। इस योजना के अंतर्गत वृद्ध किसानों को पेंशन देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार ने इस योजना की जरूरत को समझा और इसे जमीन पर लागू किया, जिसका नतीजा है कि आज असंख्य किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। ‘किसान मानधन योजना’ के अंतर्गत 60 साल की उम्र को पार कर चुके किसानों को प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इस बात पर जोर दिया था कि किसानों के आने वाले भविष्य सुरक्षित करने के मकसद से इस ‘किसान मानधन योजना’ की शुरुआत की गई है।

इसके अलावा हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण गृह नहीं है, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना को मंजूरी दी है। इससे किसान भाई अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकेंगे ताकि उनकी फसल बर्बाद होने बचें।

सरकार ने नारियल उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी विशेष ध्यान रखा है। उन्हीं के हितों को ध्यान में रखते हुए 2024 सीज़न के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा मिलिंग कोपरा के एमएसपी में 113% की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद बॉल कोपरा के एमएसपी में 118% की बढ़ोतरी दी गई।

इसके साथ ही 2019 के फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति करने के मकसद से किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है। किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक 11 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं, जिसके तहत 2.8 लाख करोड़ की सम्मान निधि आवंटित हुई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, 2016-17 से 5,696.8 लाख किसान आवेदनों का बीमा किया गया है, जिसमें किसानों को दावों के रूप में कुल 1,54,469 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं, किसानों को किफायती दरों पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने के मकसद से फर्टिलाइजर पर रबी सीजन 2023-24 के लिए एनपीएस दरें स्वीकृत की गई है, जिस पर 22,303 करोड़ रुपये का खर्च अनुमान जताया गया है।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने करीब 11 करोड़ किसानों को 2.62 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है, जिसके लिए 2013-14 से 2023-24 तक बजट में 363% की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, 2022-23 में कृषि क्षेत्र को 18.5 लाख करोड़ का संस्थागत ऋण देने का ऐलान किया गया था। इसके साथ ही हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी केंद्र सरकार ने विशेष ध्यान रखा है। हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की।

2030 तक हल्दी निर्यात को 1 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, सरकार का किसानों की आय बढ़ाने पर भी विशेष जोर है। इसके लिए सरकार का फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में प्राइवेट और पब्लिक निवेश को बढ़ावा देने पर जोर है। इसके साथ ही सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर एप्लीकेशन का विस्तार पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। डेयरी किसान भी सरकार की प्राथमिकता में हैं। डेयरी किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

कृषि अवसंरचना में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 2020 में 2 करोड़ की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज छूट के साथ लॉन्च किया गया था।

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर) देश में जैविक खेती को बढ़ावा देती है। अब तक लगभग 16.19 लाख किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं। भारत सरकार अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को केसीसी के माध्यम से 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण प्रदान कर रही है।

कृषि क्षेत्र में कृषि और संबद्ध वस्तुओं के निर्यात में जोरदार वृद्धि देखी गई, जो 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 53.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में 265.95 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में रिकॉर्ड 329.69 मिलियन टन हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन है।

किसानों के हितों को विशेष प्राथमिकता देते हुए कृषि बजट को 5 फीसद बढ़ा दिया गया है। उर्वरक उत्पादन व सब्सिडी में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों के बीच अब नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धता भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से फसल नुकसान कवर का दायरा बढ़ा है और अभी तक किसानों को इसके जरिए 1.54 लाख करोड़ का क्लेम दिया जा चुका है। नमो ड्रोन दीदी योजना से ड्रोन की खरीदारी पर 80 प्रतिशत राहत मिल रही है। देशभर में 1,389 मंडियां ई-मंडी नाम पर रजिस्टर्ड हुई हैं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। भारत कृषि प्रधान देश है और ऐसे में किसानों के विकास के साथ देश का विकास जुड़ा हुआ है। मोदी सरकार ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में किसानों के हितों के लिए अनेकों कदम उठाए हैं। अनेकों ऐसी योजनाएं शुरू कि जो आज अन्नदाताओं के लिए हितकारी साबित हो रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई दफा चुनावी रैलियों में जिक्र कर चुके हैं कि किसान हमेशा से ही उनके लिए प्राथमिकता की सूची में शीर्ष पर हैं और हमेशा रहेंगे।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से पिछले 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती और किसानी के विकास के लिए किए गए कामों का आंकड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रखा गया है, जिसका तुलनात्मक अध्ययन बता रहा है कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में किसानों का विकास कहां से कहां तक पहुंचा है।

बीते 10 साल के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई, किसानों की हर जरूरतों का ख्याल रखा गया। सरकार किसानों की आर्थिक जरूरतों से लेकर खेती-बाड़ी में प्रयोग होने वाले हर छोटे-बड़े उपकरणों तक का ध्यान रख रही है। किसानों की इन जरूरतों की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिसमें एक ‘किसान मानधन योजना’ है। इस योजना के अंतर्गत वृद्ध किसानों को पेंशन देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार ने इस योजना की जरूरत को समझा और इसे जमीन पर लागू किया, जिसका नतीजा है कि आज असंख्य किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। ‘किसान मानधन योजना’ के अंतर्गत 60 साल की उम्र को पार कर चुके किसानों को प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इस बात पर जोर दिया था कि किसानों के आने वाले भविष्य सुरक्षित करने के मकसद से इस ‘किसान मानधन योजना’ की शुरुआत की गई है।

इसके अलावा हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण गृह नहीं है, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना को मंजूरी दी है। इससे किसान भाई अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकेंगे ताकि उनकी फसल बर्बाद होने बचें।

सरकार ने नारियल उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी विशेष ध्यान रखा है। उन्हीं के हितों को ध्यान में रखते हुए 2024 सीज़न के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा मिलिंग कोपरा के एमएसपी में 113% की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद बॉल कोपरा के एमएसपी में 118% की बढ़ोतरी दी गई।

इसके साथ ही 2019 के फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति करने के मकसद से किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है। किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक 11 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं, जिसके तहत 2.8 लाख करोड़ की सम्मान निधि आवंटित हुई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, 2016-17 से 5,696.8 लाख किसान आवेदनों का बीमा किया गया है, जिसमें किसानों को दावों के रूप में कुल 1,54,469 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं, किसानों को किफायती दरों पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने के मकसद से फर्टिलाइजर पर रबी सीजन 2023-24 के लिए एनपीएस दरें स्वीकृत की गई है, जिस पर 22,303 करोड़ रुपये का खर्च अनुमान जताया गया है।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने करीब 11 करोड़ किसानों को 2.62 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है, जिसके लिए 2013-14 से 2023-24 तक बजट में 363% की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, 2022-23 में कृषि क्षेत्र को 18.5 लाख करोड़ का संस्थागत ऋण देने का ऐलान किया गया था। इसके साथ ही हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी केंद्र सरकार ने विशेष ध्यान रखा है। हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की।

2030 तक हल्दी निर्यात को 1 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, सरकार का किसानों की आय बढ़ाने पर भी विशेष जोर है। इसके लिए सरकार का फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में प्राइवेट और पब्लिक निवेश को बढ़ावा देने पर जोर है। इसके साथ ही सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर एप्लीकेशन का विस्तार पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। डेयरी किसान भी सरकार की प्राथमिकता में हैं। डेयरी किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

कृषि अवसंरचना में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 2020 में 2 करोड़ की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज छूट के साथ लॉन्च किया गया था।

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर) देश में जैविक खेती को बढ़ावा देती है। अब तक लगभग 16.19 लाख किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं। भारत सरकार अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को केसीसी के माध्यम से 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण प्रदान कर रही है।

कृषि क्षेत्र में कृषि और संबद्ध वस्तुओं के निर्यात में जोरदार वृद्धि देखी गई, जो 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 53.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में 265.95 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में रिकॉर्ड 329.69 मिलियन टन हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन है।

किसानों के हितों को विशेष प्राथमिकता देते हुए कृषि बजट को 5 फीसद बढ़ा दिया गया है। उर्वरक उत्पादन व सब्सिडी में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों के बीच अब नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धता भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से फसल नुकसान कवर का दायरा बढ़ा है और अभी तक किसानों को इसके जरिए 1.54 लाख करोड़ का क्लेम दिया जा चुका है। नमो ड्रोन दीदी योजना से ड्रोन की खरीदारी पर 80 प्रतिशत राहत मिल रही है। देशभर में 1,389 मंडियां ई-मंडी नाम पर रजिस्टर्ड हुई हैं।

–आईएएनएस

एसएचके/एबीएम

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नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। भारत कृषि प्रधान देश है और ऐसे में किसानों के विकास के साथ देश का विकास जुड़ा हुआ है। मोदी सरकार ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में किसानों के हितों के लिए अनेकों कदम उठाए हैं। अनेकों ऐसी योजनाएं शुरू कि जो आज अन्नदाताओं के लिए हितकारी साबित हो रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई दफा चुनावी रैलियों में जिक्र कर चुके हैं कि किसान हमेशा से ही उनके लिए प्राथमिकता की सूची में शीर्ष पर हैं और हमेशा रहेंगे।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से पिछले 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती और किसानी के विकास के लिए किए गए कामों का आंकड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रखा गया है, जिसका तुलनात्मक अध्ययन बता रहा है कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में किसानों का विकास कहां से कहां तक पहुंचा है।

बीते 10 साल के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई, किसानों की हर जरूरतों का ख्याल रखा गया। सरकार किसानों की आर्थिक जरूरतों से लेकर खेती-बाड़ी में प्रयोग होने वाले हर छोटे-बड़े उपकरणों तक का ध्यान रख रही है। किसानों की इन जरूरतों की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिसमें एक ‘किसान मानधन योजना’ है। इस योजना के अंतर्गत वृद्ध किसानों को पेंशन देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार ने इस योजना की जरूरत को समझा और इसे जमीन पर लागू किया, जिसका नतीजा है कि आज असंख्य किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। ‘किसान मानधन योजना’ के अंतर्गत 60 साल की उम्र को पार कर चुके किसानों को प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इस बात पर जोर दिया था कि किसानों के आने वाले भविष्य सुरक्षित करने के मकसद से इस ‘किसान मानधन योजना’ की शुरुआत की गई है।

इसके अलावा हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण गृह नहीं है, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना को मंजूरी दी है। इससे किसान भाई अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकेंगे ताकि उनकी फसल बर्बाद होने बचें।

सरकार ने नारियल उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी विशेष ध्यान रखा है। उन्हीं के हितों को ध्यान में रखते हुए 2024 सीज़न के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा मिलिंग कोपरा के एमएसपी में 113% की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद बॉल कोपरा के एमएसपी में 118% की बढ़ोतरी दी गई।

इसके साथ ही 2019 के फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति करने के मकसद से किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है। किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक 11 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं, जिसके तहत 2.8 लाख करोड़ की सम्मान निधि आवंटित हुई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, 2016-17 से 5,696.8 लाख किसान आवेदनों का बीमा किया गया है, जिसमें किसानों को दावों के रूप में कुल 1,54,469 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं, किसानों को किफायती दरों पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने के मकसद से फर्टिलाइजर पर रबी सीजन 2023-24 के लिए एनपीएस दरें स्वीकृत की गई है, जिस पर 22,303 करोड़ रुपये का खर्च अनुमान जताया गया है।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने करीब 11 करोड़ किसानों को 2.62 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है, जिसके लिए 2013-14 से 2023-24 तक बजट में 363% की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, 2022-23 में कृषि क्षेत्र को 18.5 लाख करोड़ का संस्थागत ऋण देने का ऐलान किया गया था। इसके साथ ही हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी केंद्र सरकार ने विशेष ध्यान रखा है। हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की।

2030 तक हल्दी निर्यात को 1 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, सरकार का किसानों की आय बढ़ाने पर भी विशेष जोर है। इसके लिए सरकार का फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में प्राइवेट और पब्लिक निवेश को बढ़ावा देने पर जोर है। इसके साथ ही सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर एप्लीकेशन का विस्तार पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। डेयरी किसान भी सरकार की प्राथमिकता में हैं। डेयरी किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

कृषि अवसंरचना में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 2020 में 2 करोड़ की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज छूट के साथ लॉन्च किया गया था।

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर) देश में जैविक खेती को बढ़ावा देती है। अब तक लगभग 16.19 लाख किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं। भारत सरकार अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को केसीसी के माध्यम से 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण प्रदान कर रही है।

कृषि क्षेत्र में कृषि और संबद्ध वस्तुओं के निर्यात में जोरदार वृद्धि देखी गई, जो 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 53.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में 265.95 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में रिकॉर्ड 329.69 मिलियन टन हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन है।

किसानों के हितों को विशेष प्राथमिकता देते हुए कृषि बजट को 5 फीसद बढ़ा दिया गया है। उर्वरक उत्पादन व सब्सिडी में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों के बीच अब नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धता भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से फसल नुकसान कवर का दायरा बढ़ा है और अभी तक किसानों को इसके जरिए 1.54 लाख करोड़ का क्लेम दिया जा चुका है। नमो ड्रोन दीदी योजना से ड्रोन की खरीदारी पर 80 प्रतिशत राहत मिल रही है। देशभर में 1,389 मंडियां ई-मंडी नाम पर रजिस्टर्ड हुई हैं।

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नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। भारत कृषि प्रधान देश है और ऐसे में किसानों के विकास के साथ देश का विकास जुड़ा हुआ है। मोदी सरकार ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में किसानों के हितों के लिए अनेकों कदम उठाए हैं। अनेकों ऐसी योजनाएं शुरू कि जो आज अन्नदाताओं के लिए हितकारी साबित हो रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई दफा चुनावी रैलियों में जिक्र कर चुके हैं कि किसान हमेशा से ही उनके लिए प्राथमिकता की सूची में शीर्ष पर हैं और हमेशा रहेंगे।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से पिछले 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती और किसानी के विकास के लिए किए गए कामों का आंकड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रखा गया है, जिसका तुलनात्मक अध्ययन बता रहा है कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में किसानों का विकास कहां से कहां तक पहुंचा है।

बीते 10 साल के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई, किसानों की हर जरूरतों का ख्याल रखा गया। सरकार किसानों की आर्थिक जरूरतों से लेकर खेती-बाड़ी में प्रयोग होने वाले हर छोटे-बड़े उपकरणों तक का ध्यान रख रही है। किसानों की इन जरूरतों की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिसमें एक ‘किसान मानधन योजना’ है। इस योजना के अंतर्गत वृद्ध किसानों को पेंशन देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार ने इस योजना की जरूरत को समझा और इसे जमीन पर लागू किया, जिसका नतीजा है कि आज असंख्य किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। ‘किसान मानधन योजना’ के अंतर्गत 60 साल की उम्र को पार कर चुके किसानों को प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इस बात पर जोर दिया था कि किसानों के आने वाले भविष्य सुरक्षित करने के मकसद से इस ‘किसान मानधन योजना’ की शुरुआत की गई है।

इसके अलावा हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण गृह नहीं है, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना को मंजूरी दी है। इससे किसान भाई अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकेंगे ताकि उनकी फसल बर्बाद होने बचें।

सरकार ने नारियल उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी विशेष ध्यान रखा है। उन्हीं के हितों को ध्यान में रखते हुए 2024 सीज़न के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा मिलिंग कोपरा के एमएसपी में 113% की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद बॉल कोपरा के एमएसपी में 118% की बढ़ोतरी दी गई।

इसके साथ ही 2019 के फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति करने के मकसद से किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है। किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक 11 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं, जिसके तहत 2.8 लाख करोड़ की सम्मान निधि आवंटित हुई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, 2016-17 से 5,696.8 लाख किसान आवेदनों का बीमा किया गया है, जिसमें किसानों को दावों के रूप में कुल 1,54,469 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं, किसानों को किफायती दरों पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने के मकसद से फर्टिलाइजर पर रबी सीजन 2023-24 के लिए एनपीएस दरें स्वीकृत की गई है, जिस पर 22,303 करोड़ रुपये का खर्च अनुमान जताया गया है।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने करीब 11 करोड़ किसानों को 2.62 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है, जिसके लिए 2013-14 से 2023-24 तक बजट में 363% की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, 2022-23 में कृषि क्षेत्र को 18.5 लाख करोड़ का संस्थागत ऋण देने का ऐलान किया गया था। इसके साथ ही हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी केंद्र सरकार ने विशेष ध्यान रखा है। हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की।

2030 तक हल्दी निर्यात को 1 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, सरकार का किसानों की आय बढ़ाने पर भी विशेष जोर है। इसके लिए सरकार का फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में प्राइवेट और पब्लिक निवेश को बढ़ावा देने पर जोर है। इसके साथ ही सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर एप्लीकेशन का विस्तार पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। डेयरी किसान भी सरकार की प्राथमिकता में हैं। डेयरी किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

कृषि अवसंरचना में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 2020 में 2 करोड़ की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज छूट के साथ लॉन्च किया गया था।

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर) देश में जैविक खेती को बढ़ावा देती है। अब तक लगभग 16.19 लाख किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं। भारत सरकार अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को केसीसी के माध्यम से 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण प्रदान कर रही है।

कृषि क्षेत्र में कृषि और संबद्ध वस्तुओं के निर्यात में जोरदार वृद्धि देखी गई, जो 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 53.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में 265.95 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में रिकॉर्ड 329.69 मिलियन टन हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन है।

किसानों के हितों को विशेष प्राथमिकता देते हुए कृषि बजट को 5 फीसद बढ़ा दिया गया है। उर्वरक उत्पादन व सब्सिडी में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों के बीच अब नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धता भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से फसल नुकसान कवर का दायरा बढ़ा है और अभी तक किसानों को इसके जरिए 1.54 लाख करोड़ का क्लेम दिया जा चुका है। नमो ड्रोन दीदी योजना से ड्रोन की खरीदारी पर 80 प्रतिशत राहत मिल रही है। देशभर में 1,389 मंडियां ई-मंडी नाम पर रजिस्टर्ड हुई हैं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। भारत कृषि प्रधान देश है और ऐसे में किसानों के विकास के साथ देश का विकास जुड़ा हुआ है। मोदी सरकार ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में किसानों के हितों के लिए अनेकों कदम उठाए हैं। अनेकों ऐसी योजनाएं शुरू कि जो आज अन्नदाताओं के लिए हितकारी साबित हो रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई दफा चुनावी रैलियों में जिक्र कर चुके हैं कि किसान हमेशा से ही उनके लिए प्राथमिकता की सूची में शीर्ष पर हैं और हमेशा रहेंगे।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से पिछले 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती और किसानी के विकास के लिए किए गए कामों का आंकड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रखा गया है, जिसका तुलनात्मक अध्ययन बता रहा है कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में किसानों का विकास कहां से कहां तक पहुंचा है।

बीते 10 साल के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई, किसानों की हर जरूरतों का ख्याल रखा गया। सरकार किसानों की आर्थिक जरूरतों से लेकर खेती-बाड़ी में प्रयोग होने वाले हर छोटे-बड़े उपकरणों तक का ध्यान रख रही है। किसानों की इन जरूरतों की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिसमें एक ‘किसान मानधन योजना’ है। इस योजना के अंतर्गत वृद्ध किसानों को पेंशन देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार ने इस योजना की जरूरत को समझा और इसे जमीन पर लागू किया, जिसका नतीजा है कि आज असंख्य किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। ‘किसान मानधन योजना’ के अंतर्गत 60 साल की उम्र को पार कर चुके किसानों को प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इस बात पर जोर दिया था कि किसानों के आने वाले भविष्य सुरक्षित करने के मकसद से इस ‘किसान मानधन योजना’ की शुरुआत की गई है।

इसके अलावा हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण गृह नहीं है, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना को मंजूरी दी है। इससे किसान भाई अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकेंगे ताकि उनकी फसल बर्बाद होने बचें।

सरकार ने नारियल उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी विशेष ध्यान रखा है। उन्हीं के हितों को ध्यान में रखते हुए 2024 सीज़न के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा मिलिंग कोपरा के एमएसपी में 113% की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद बॉल कोपरा के एमएसपी में 118% की बढ़ोतरी दी गई।

इसके साथ ही 2019 के फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति करने के मकसद से किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है। किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक 11 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं, जिसके तहत 2.8 लाख करोड़ की सम्मान निधि आवंटित हुई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, 2016-17 से 5,696.8 लाख किसान आवेदनों का बीमा किया गया है, जिसमें किसानों को दावों के रूप में कुल 1,54,469 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं, किसानों को किफायती दरों पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने के मकसद से फर्टिलाइजर पर रबी सीजन 2023-24 के लिए एनपीएस दरें स्वीकृत की गई है, जिस पर 22,303 करोड़ रुपये का खर्च अनुमान जताया गया है।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने करीब 11 करोड़ किसानों को 2.62 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है, जिसके लिए 2013-14 से 2023-24 तक बजट में 363% की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, 2022-23 में कृषि क्षेत्र को 18.5 लाख करोड़ का संस्थागत ऋण देने का ऐलान किया गया था। इसके साथ ही हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी केंद्र सरकार ने विशेष ध्यान रखा है। हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की।

2030 तक हल्दी निर्यात को 1 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, सरकार का किसानों की आय बढ़ाने पर भी विशेष जोर है। इसके लिए सरकार का फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में प्राइवेट और पब्लिक निवेश को बढ़ावा देने पर जोर है। इसके साथ ही सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर एप्लीकेशन का विस्तार पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। डेयरी किसान भी सरकार की प्राथमिकता में हैं। डेयरी किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

कृषि अवसंरचना में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 2020 में 2 करोड़ की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज छूट के साथ लॉन्च किया गया था।

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर) देश में जैविक खेती को बढ़ावा देती है। अब तक लगभग 16.19 लाख किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं। भारत सरकार अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को केसीसी के माध्यम से 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण प्रदान कर रही है।

कृषि क्षेत्र में कृषि और संबद्ध वस्तुओं के निर्यात में जोरदार वृद्धि देखी गई, जो 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 53.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में 265.95 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में रिकॉर्ड 329.69 मिलियन टन हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन है।

किसानों के हितों को विशेष प्राथमिकता देते हुए कृषि बजट को 5 फीसद बढ़ा दिया गया है। उर्वरक उत्पादन व सब्सिडी में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों के बीच अब नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धता भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से फसल नुकसान कवर का दायरा बढ़ा है और अभी तक किसानों को इसके जरिए 1.54 लाख करोड़ का क्लेम दिया जा चुका है। नमो ड्रोन दीदी योजना से ड्रोन की खरीदारी पर 80 प्रतिशत राहत मिल रही है। देशभर में 1,389 मंडियां ई-मंडी नाम पर रजिस्टर्ड हुई हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई दफा चुनावी रैलियों में जिक्र कर चुके हैं कि किसान हमेशा से ही उनके लिए प्राथमिकता की सूची में शीर्ष पर हैं और हमेशा रहेंगे।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से पिछले 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती और किसानी के विकास के लिए किए गए कामों का आंकड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रखा गया है, जिसका तुलनात्मक अध्ययन बता रहा है कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में किसानों का विकास कहां से कहां तक पहुंचा है।

बीते 10 साल के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई, किसानों की हर जरूरतों का ख्याल रखा गया। सरकार किसानों की आर्थिक जरूरतों से लेकर खेती-बाड़ी में प्रयोग होने वाले हर छोटे-बड़े उपकरणों तक का ध्यान रख रही है। किसानों की इन जरूरतों की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिसमें एक ‘किसान मानधन योजना’ है। इस योजना के अंतर्गत वृद्ध किसानों को पेंशन देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार ने इस योजना की जरूरत को समझा और इसे जमीन पर लागू किया, जिसका नतीजा है कि आज असंख्य किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। ‘किसान मानधन योजना’ के अंतर्गत 60 साल की उम्र को पार कर चुके किसानों को प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने खुद इस बात पर जोर दिया था कि किसानों के आने वाले भविष्य सुरक्षित करने के मकसद से इस ‘किसान मानधन योजना’ की शुरुआत की गई है।

इसके अलावा हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण गृह नहीं है, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना को मंजूरी दी है। इससे किसान भाई अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकेंगे ताकि उनकी फसल बर्बाद होने बचें।

सरकार ने नारियल उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी विशेष ध्यान रखा है। उन्हीं के हितों को ध्यान में रखते हुए 2024 सीज़न के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा मिलिंग कोपरा के एमएसपी में 113% की बढ़ोतरी की गई। इसके बाद बॉल कोपरा के एमएसपी में 118% की बढ़ोतरी दी गई।

इसके साथ ही 2019 के फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति करने के मकसद से किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है। किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक 11 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं, जिसके तहत 2.8 लाख करोड़ की सम्मान निधि आवंटित हुई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, 2016-17 से 5,696.8 लाख किसान आवेदनों का बीमा किया गया है, जिसमें किसानों को दावों के रूप में कुल 1,54,469 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं, किसानों को किफायती दरों पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने के मकसद से फर्टिलाइजर पर रबी सीजन 2023-24 के लिए एनपीएस दरें स्वीकृत की गई है, जिस पर 22,303 करोड़ रुपये का खर्च अनुमान जताया गया है।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने करीब 11 करोड़ किसानों को 2.62 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है, जिसके लिए 2013-14 से 2023-24 तक बजट में 363% की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, 2022-23 में कृषि क्षेत्र को 18.5 लाख करोड़ का संस्थागत ऋण देने का ऐलान किया गया था। इसके साथ ही हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का भी केंद्र सरकार ने विशेष ध्यान रखा है। हल्दी का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की।

2030 तक हल्दी निर्यात को 1 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, सरकार का किसानों की आय बढ़ाने पर भी विशेष जोर है। इसके लिए सरकार का फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में प्राइवेट और पब्लिक निवेश को बढ़ावा देने पर जोर है। इसके साथ ही सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर एप्लीकेशन का विस्तार पर भी सरकार का विशेष ध्यान है। डेयरी किसान भी सरकार की प्राथमिकता में हैं। डेयरी किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

कृषि अवसंरचना में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 2020 में 2 करोड़ की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज छूट के साथ लॉन्च किया गया था।

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर) देश में जैविक खेती को बढ़ावा देती है। अब तक लगभग 16.19 लाख किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं। भारत सरकार अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को केसीसी के माध्यम से 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण प्रदान कर रही है।

कृषि क्षेत्र में कृषि और संबद्ध वस्तुओं के निर्यात में जोरदार वृद्धि देखी गई, जो 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 53.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में 265.95 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में रिकॉर्ड 329.69 मिलियन टन हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन है।

किसानों के हितों को विशेष प्राथमिकता देते हुए कृषि बजट को 5 फीसद बढ़ा दिया गया है। उर्वरक उत्पादन व सब्सिडी में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों के बीच अब नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धता भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से फसल नुकसान कवर का दायरा बढ़ा है और अभी तक किसानों को इसके जरिए 1.54 लाख करोड़ का क्लेम दिया जा चुका है। नमो ड्रोन दीदी योजना से ड्रोन की खरीदारी पर 80 प्रतिशत राहत मिल रही है। देशभर में 1,389 मंडियां ई-मंडी नाम पर रजिस्टर्ड हुई हैं।

–आईएएनएस

एसएचके/एबीएम

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