नई दिल्ली, 24 फरवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इस बात का जिक्र करते रहे हैं कि उनके लिए जातियां सिर्फ चार हैं, गरीब, किसान, महिला और युवा। इनके सशक्तिकरण के लिए वह हमेशा से प्रयास करते रहे हैं और करते रहेंगे। इनमें से किसान पीएम मोदी के विकास के संकल्प में शीर्ष पर हैं।
ऐसे में 2014 में नरेंद्र मोदी 1.0 सरकार के गठन के बाद से ही किसानों को सशक्त करने को लेकर पीएम के प्रयास किसी से छुपे नहीं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के 10 साल के कार्यकाल में किसानों को लेकर सरकार ने कई शानदार फैसले लिए जिसने किसानों की दिशा और दशा दोनों सुधारने में अहम योगदान दिया।
10 साल में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के प्रयास के तहत पीएम मोदी की सरकार ने कृषि का बजट हर साल बढ़ाया और इसका बेहतर उपयोग कैसे हो इसे भी सुनिश्चित किया। इसके साथ ही नकदी खेती के बेहतर विकल्प के बारे में किसानों को जागरूक करना, कृषि के लिए मिट्टी को स्वस्थ कैसे बनाया जाए इसकी जानकारी देना, खेती के लिए किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज मिले ये सुनिश्चित कराना, किसानों को खेती के लिए आसानी से ऋण कैसे मिले इसकी व्यवस्था करना।
कृषि के बुनियादी ढांचे को मजबूत कैसे बनाया जाए इसके लिए योजनाएं बनाना। किसानों को आपदा के समय कैसे सहायता मिले, फसलों की बीमा कैसे हो, ज्यादातर कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था के साथ किसान अपनी फसल को बाजार तक कैसे पहुंचाएं या किसानों की पहुंच बाजार तक कैसे हो इसकी व्यवस्था करना। किसानों को पारंपरिक खेती के साथ नकदी खेती के जरिए कैसे अतिरिक्त आय के अवसर बने इसके बारे में जागरूक करना। किसानों को वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराना, कृषि में उन्नत तकनीक का उपयोग कैसे हो इसकी व्यवस्था करना से लेकर, अन्नदाता सम्मान जैसे काम किए हैं।
पीएम मोदी का किसानों और कृषि के प्रति लगाव और उनके विकास की दिशा में काम करने का तरीका गुजरात के सीएम रहते भी वैसा ही था। उनके सीएम रहते गुजरात के किसानों ने तेजी से प्रगति की और गुजरात कृषि उत्पादों में आत्मनिर्भर बना। किसानों की दशा सुधरी और उन्हें खेती की लागत से बहुत ज्यादा फसल बेचकर मुनाफा होने लगा।
किसानों को सोयल हेल्थ कार्ड पीएम मोदी के समय में जारी किया गया ताकि किसानों को मिट्टी के बारे में पूर्ण जानकारी मिल सके कि वह जिस मिट्टी पर फसल बोने वाले हैं वहां किस तरह की फसल के लिए वह मिट्टी बेहतर विकल्प है। मिट्टी की स्वास्थ्य संरचना कैसी है और उसकी उर्वरता क्षमता को बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है। 22 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को अभी तक निःशुल्क वितरित किया गया है।
पीएम नरेंद्र मोदी के इस दस साल के कार्यकाल में कई किसानों को पद्म पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। किसानों की आय कैसे बढ़े इसके लिए एक साल में कई बार एमएसपी में सुधार भी किया गया।
मोदी सरकार के कार्यकाल में एमएसपी पर खरीदी में तेज उछाल भी देखा गया। किसानों को फसल बीमा का लाभ देने के साथ पीएम किसान योजना और किसानों के खाते में हर साल 6000 रुपए की रकम सीधे भेजना जैसे कामों के साथ किसानों को सशक्त बनाने पर बल दिया गया। किसानों की फसल को लेकर कोल्ड चेन, मेगा फूड पार्क के साथ ही कई और अन्य प्रकार के कृषि प्रसंस्करण बड़े पैमाने पर स्थापित किए गए। पीएम मोदी की सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के साथ ही ‘आत्मनिर्भर किसान’ पर भी काम करती रही है।
मोदी सरकार के दस साल में कृषि बजट में 5 गुना तक की बढ़ोतरी की गई है। 2007-14 के बीच कृषि का बजट जहां 1.37 लाख करोड़ रुपए था वहीं 2014-25 के बीच यह बढ़कर 7.27 लाख करोड़ रुपए हो गया।
किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत हर साल 6000 रुपए की जो राशि दी जाती है। वह अब तक 11 करोड़ किसानों को दी गई है। किसानों की फसल को बाजार मिले इसके लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सरकार की तरफ से 1 लाख करोड़ रुपये का एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड दिया गया। पहली बार 22 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया गया जो फसल की लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक था। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी की सरकार ने जो प्रयास किए वह पूर्व में किसी भी सरकार के द्वारा नहीं किया गया।
पीएम मोदी ने किसानों को जो यूरिया खाद मिलता था उसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए नीम कोटेड यूरिया की व्यवस्था कर दी। यूरिया के अवैध डायवर्सन को इससे पूरी तरह रोक दिया गया और किसानों को अब खाद के लिए लंबी लाइन नहीं लगानी पड़ती हैं। इसके अलावा, कई बेद पड़े खाद के कारखानों को फिर से शुरू किया गया जिससे नौकरियां पैदा होने के साथ उर्वरकों में आत्मनिर्भरता भी बढ़ी है।
2015-16 में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना प्रारम्भ की जिसके तहत अब तक किसानों को 70 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना के तहत जीरो बजट खेती जहां शून्य क्रेडिट की आवश्यकता है और यहां खेती में रासायनिक उर्वरकों का भी उपयोग नहीं होता। इसको लेकर सरकार की तरफ से किसानों को जागरूक किया गया।
सरकार की तरफ से बेहतर बीज की उपलब्धता 2014-15 में 158.19 लाख क्विंटल थी जो 2022-23 में बढ़कर 514.26 लाख क्विंटल हो गया। किसानों की बाजार तक पहुंच बेहतर हो इसके लिए ग्रामीण सड़कों का जाल बिछाने का काम भी सरकार की तरफ से तेजी से किया गया। 2014-15 में जहां 4.19 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें थी वह फरवरी 2023 तक 7.53 लाख किलोमीटर हो गया।
2014 में जहां 318.23 लाख मीट्रिक टन खाद्यानों को कोल्ड स्टोरेज में रखने की क्षमता थी उसे फरवरी 2023 तक बढ़ाकर 394.17 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। 2007-14 के बीच जहां एमएसपी पर धान की खरीद 2.58 लाख करोड़ रुपए की हुई थी वह 2014-21 के बीच 187 प्रतिशत बढ़कर 7.43 लाख करोड़ हो गई। 2013-14 में की तुलना में धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 2022-23 में 172 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
वहीं, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 2007-14 में 1.99 लाख करोड़ रुपए जो 2022-23 में 83 प्रतिशत बढ़कर 3.65 लाख करोड़ रुपए हो गई। इसी तरह तिलहन की फसलों पर खरीदी और एमएसपी दोनों में बड़ा इजाफा हुआ है।
रबी की फसलों के लिए जहां 2010-11 में 1120 रुपए प्रति क्विंटल और 2013-14 में 1400 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी तय थी वह नवंबर 2023-24 में बढ़कर 2275 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। मसूर की एमएसपी में भी 2013-14 के मुकाबले 2023-24 तक दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है। वैसे ही चने और जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इस दौरान बड़ा इजाफा किया गया है।
मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी के न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी दोगुने से ज्यादा बढ़ाया गया है। साथ ही मोदी सरकार की नीतियों की वजह से मोटे अनाज की मांग देश के बाहर पूरी दुनिया में अब तेजी से बढ़ी है। एमएफपी और एमएसपी से लाभान्वित परिवारों की संख्या में भी 25 गुना का इजाफा इन 10 सालों में हुआ है।
एमएसपी के तहत वन उत्पाद की संख्या में 8 गुना से अधिक की वृद्धि की गई है। पहले 10 वन उत्पाद पर एमएसपी का लाभ मिलता था जो अब 87 हो गई है।
2014 तक जहां 2 मेगा फूड पार्क देश में थे वह पीएम मोदी के 10 साल के कार्यकाल में बढ़कर 23 हो गए हैं। 2014 तक देश में कोल्ड चेन जो 37 की संख्या में था 2023 तक उसकी संख्या 273 हो गई है।
कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, शहद उत्पादन जैसी कई और गतिविधियों के जरिए नियमित आय के स्त्रोत किसानों के लिए बने इसके लिए भी सरकार की तरफ से व्यवस्था की गई है। ऐसे में सरकार की तरफ से नीली क्रांति के तहत बजट को 10 गुना बढ़ाया गया है। वहीं हॉर्टिकल्चर प्रोडक्शन को भी 26 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाया गया है।
–आईएएनएस
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