चेन्नई, 11 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक लेख लिखकर उनके साथ अपने व्यक्तिगत और वैचारिक संबंधों की सराहना की।
इस लेख में पीएम मोदी ने मोहन भागवत के सामाजिक और राष्ट्रीय योगदान को रेखांकित किया। हालांकि, इस लेख को लेकर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने आरएसएस और इसके इतिहास पर सवाल उठाते हुए संगठन को स्वतंत्रता संग्राम के खिलाफ और महात्मा गांधी की हत्या से जोड़ा। एलंगोवन ने कहा, “आरएसएस स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा नहीं था। वे आजादी के खिलाफ थे और उन्होंने इसके लिए कोई बलिदान नहीं दिया। इसके विपरीत, महात्मा गांधी, जो स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी थे, उनकी हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया था।”
उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस का इतिहास स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान के बजाय विवादों से भरा रहा है। गांधी ने देश को एकजुट करने और आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि आरएसएस ने इस दिशा में कोई योगदान नहीं दिया।
इसके अलावा, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन के उपराष्ट्रपति चुनाव से संबंधित बयान पर भी एलंगोवन ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के सभी 39 सांसदों और पुडुचेरी के एक सांसद ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के खिलाफ मतदान किया। यह एकता भविष्य में भी बरकरार रहेगी, जो विपक्षी गठबंधन की ताकत को दर्शाती है।
पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक एस रामदास ने गुरुवार को अपने बेटे अंबुमणि रामदास को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। इस सियासी घटनाक्रम पर डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह उनका अपना फैसला है। रामदास बिना किसी आधार के हर मुद्दे के लिए डीएमके को दोषी ठहराते हैं, लेकिन जनता सब देख रही है।”
उन्होंने रामदास के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि डीएमके का इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं है।
–आईएएनएस
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