उडुपी, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार शाम कर्नाटक के उडुपी श्रीकृष्ण मठ में पूजा-अर्चना की और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लिया।
इस दौरान मोहन भागवत को “हिंदू सम्राट” की उपाधि दी गई और “श्री कृष्ण गीतानुग्रह पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान गीता मंदिर में आयोजित एक समारोह में पुट्टीगे मठ के पर्याय सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामीजी द्वारा प्रदान किया गया। मोहन भागवत को यह सम्मान सनातन धर्म के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में योगदान के लिए दिया गया। अभिनंदन के तौर पर उन्हें एक चांदी की पट्टिका, पारंपरिक शॉल और मंदिर की ओर से प्रसाद भेंट किया गया।
दर्शन के बाद मोहन भागवत ने गीता मंदिर का दौरा किया, जहां श्री सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामीजी ने उन्हें गीता शिला लेखन ध्यान मंदिर और वदिराज अनुसंधान केंद्र की गतिविधियों से परिचित कराया। स्वामीजी ने आध्यात्मिक अभियान गीता लेखन यज्ञ (एक सामूहिक पवित्र ग्रंथ-लेखन पहल) के बारे में आरएसएस प्रमुख को विस्तार से बताया। डॉ. भागवत ने इन प्रयासों की सराहना की। उन्होंने स्वामीजी की अध्यक्षता में गीता लेखन यज्ञ की भी शुरुआत की।
मोहन भागवत और स्वामीजी ने भारत और पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदू विरोधी गतिविधियों की घटनाओं सहित हिंदुओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने हिंदुओं के बीच एकता का आह्वान किया और आध्यात्मिक नेताओं से नैतिक और राष्ट्रीय मूल्यों को लेकर मार्गदर्शन करने की अपील की।
स्वामीजी ने पिछली सदी में सनातन धर्म की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आरएसएस की प्रशंसा की और देशभक्ति और सेवा को प्रेरित करने के लिए इसके नेताओं की सराहना की। उन्होंने मोहन भागवत के नेतृत्व को जरूरी बताया।
उन्होंने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से लेकर डॉ. मोहन भागवत तक के आरएसएस नेतृत्व की सराहना की, जिन्होंने राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा और निःस्वार्थ सेवा से अनगिनत व्यक्तियों को प्रेरित किया।
समारोह में आरएसएस के वरिष्ठ नेता मुकुंद जी, उडुपी जिला प्रमुख नरातन शेनॉय, मठ दीवान एम नागराज आचार्य, मैटी लक्ष्मीनारायण राव, प्रमोद सागर, संतोष शेट्टी सहित विद्वान, गणमान्य व्यक्ति और भक्त उपस्थित थे।
–आईएएनएस
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